Shri Dattatreya Stotram : इस तेजस्वी स्तोत्र की नियमित रूप से स्तुति करने मात्र से ही हो जाते हैं त्रिदेव प्रसन्न, पितृ दोष से मिलती हैं मुक्ति, खुशियों का होता है आगमन | Shri Dattatreya Stotram

Shri Dattatreya Stotram : इस तेजस्वी स्तोत्र की नियमित रूप से स्तुति करने मात्र से ही हो जाते हैं त्रिदेव प्रसन्न, पितृ दोष से मिलती हैं मुक्ति, खुशियों का होता है आगमन

Edited By :   Modified Date:  August 17, 2024 / 01:09 PM IST, Published Date : August 17, 2024/1:08 pm IST

Shri Dattatreya Stotram : दत्तात्रेय स्तोत्रम के द्वारा भगवान दत्तात्रेय की स्तुति की गई है। इस स्त्रोत का वर्णन श्री नारद पुराण में किया गया है। उन्हें तीन हिंदू देवताओं ब्रह्मा , विष्णु और शिव का अवतार और संयुक्त रूप माना जाता है जिन्हें सामूहिक रूप से त्रिमूर्ति के रूप में भी जाना जाता है, और भागवत पुराण , मार्कंडेय पुराण और ब्रह्मांड पुराण जैसे ग्रंथों में परब्रह्म , सर्वोच्च प्राणी की अभिव्यक्ति के रूप में माना जाता है पुराणों में , उनका जन्म एक भारतीय आश्रम में अनसूया और उनके पति, वैदिक ऋषि अत्रि के घर हुआ था, जिन्हें पारंपरिक रूप से ऋग्वेद में सबसे बड़ा योगदान देने का श्रेय दिया जाता है । दत्तात्रेय को आम तौर पर तीन सिरों और छह हाथों के साथ दिखाया जाता है, एक-एक सिर ब्रह्मा , विष्णु और शिव का है जो हिंदू धर्म के 3 मुख्य देवताओं, त्रिमूर्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं और एक जोड़ी हाथ इन देवताओं में से प्रत्येक से जुड़े प्रतीकात्मक वस्तुओं को पकड़े हुए हैं: ब्रह्मा के जपमाला और कमंडलु , विष्णु के शाखा और सुदर्शन चक्र , शिव के त्रिशूल और डमरू । ऐसा माना जाता है कि जो भी मनुष्य इस स्त्रोत का पाठ नियमित रूप से करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं साथ ही पितृ दोष भी दूर हो जाता है। उस व्यक्ति के उन्नति में वृद्धि होती है।

भगवान दत्तात्रेय यानी की ब्रह्मा, विष्णु, महेश के रूप की पूजा अर्चना के लिए इस स्त्रोत का पाठ किया जाता है। इसका पाठ प्रतिदिन करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

Shri Dattatreya Stotram : दत्तात्रेय स्तोत्रम पढ़ने के फायदे

– देवर्षि नारद द्वारा रचित दत्तात्रेय स्तोत्रम बहुत ही तेजस्वी स्त्रोत है। इस स्त्रोत का नित्य पाठ करने से शत्रु भी परास्त हो जाते हैं।
– इस स्त्रोत का पाठ करने से भक्तों को ज्ञान की प्राप्ति होती है।
– जो भी भक्त इस स्त्रोत की स्तुति करता है उसका चित्त निर्मल हो जाता है।
– जो व्यक्ति नियमित रूप से इस स्त्रोत का पाठ करता है उसे जीवन के हर मोड़ पर विजय की प्राप्ति होती है। उसकी चारों तरफ प्रसिद्धि होती है।

Shri Dattatreya Stotram : यहां पढ़ें श्री श्रीदत्तात्रेयस्तोत्र (हिंदी अर्थ सहित)

जटाधरं पाण्डुरंगं शूलहस्तं कृपानिधिम् । सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे ।।
हिंदी अर्थ – पीले वर्ण की आकृति वाले, जटा धारण किए हुए, हाथ में शूल लिए हुए, कृपा के सागर और समस्त रोगों का शमन करने वाले देवस्वरूप दत्तात्रेय जी का मैं आश्रय लेता हूँ।

विनियोग – अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रमन्त्रस्य भगवान् नारद ऋषि:, अनुष्टुप् छन्द:, श्रीदत्त: परमात्मा देवता, श्रीदत्तप्रीत्यर्थं जपे विनियोग: ।

हिंदी अर्थ – इस दत्तात्रेयस्तोत्र रूपी मन्त्र के रचियता ऋषि नारद हैं, छन्द अनुष्टुप है और परमेश्वर-स्वरूप दत्तात्रेय जी इसके देवता हैं। श्रीदत्तात्रेय जी की प्रसन्नता के लिए पाठ में विनियोग किया जाता है।

जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहारहेतवे । भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।1।।
हिंदी अर्थ – संसार के बन्धन से सर्वथा विमुक्त तथा संसार की उत्पत्ति, पालन और संहार के मूल कारण-स्वरूप आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च । दिगम्बर दयामूर्ते दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।2।।
हिंदी अर्थ – जरा और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त करने वाले, देह को बाहर-अंदर से शुद्ध करने वाले स्वयं दिगम्बर-स्वरुप, दया के मूर्तिमान विग्रह आप दतात्रेय जी को मेरा प्रणाम है।

कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च । वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।3।।
हिंदी अर्थ – कर्पूर की कान्ति के समान गौर शरीर वाले, ब्रह्माजी की मूर्ति को धारण करने वाले और वेद्-शास्त्र का पूर्ण ज्ञान रखने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

हृस्वदीर्घकृशस्थूलनामगोत्रविवर्जित । पंचभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।4।।
हिंदी अर्थ – अर्थात – कभी ठिगने, कभी लम्बे, कभी स्थूल और कभी दुबले-पतले शरीर धारण करने वाले, नाम-गोत्र से विवर्जित, सिर्फ पंचमहाभूतों से युक्त दीप्तिमान शरीर धारण करने वाले, दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

Shri Dattatreya Stotram

यज्ञभोक्त्रै च यज्ञाय यज्ञरूपधराय च । यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।5।।
हिंदी अर्थ – यज्ञ के भोक्ता, यज्ञ-विग्रह और यज्ञ-स्वरूप को धारण करने वाले, यज्ञ से प्रसन्न होने वाले, सिद्धरूप आप दत्तात्रेय जी को मेरा प्रणाम है।

आदौ ब्रह्मा मध्ये विष्णुरन्ते देव: सदाशिव: । मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।6।।
हिंदी अर्थ – सर्वप्रथम ब्रह्मारूप, मध्य में विष्णुरूप और अन्त में सदाशिव स्वरूप – इन तीनों स्वरूपों को धारण करने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा प्रणाम है।

भोगालयाय भोगाय योग्ययोग्याय धारिणे । जितेन्द्रिय जितज्ञाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।7।।
हिंदी अर्थ – समस्त सुख्-भोगों के निधानस्वरूप, सभी योग्य व्यक्तियों में भी उत्कृष्ट योग्यतम रूप धारण करने वाले, जितेन्द्रिय तथा जितेन्द्रियों की ही जानकारी में आने वाले आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपधराय च । सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।8।।
हिंदी अर्थ – सदैव दिगम्बर वेषधारी, दिव्यमूर्ति और दिव्यस्वरूप धारण करने वाले, जिन्हें सदा ही परब्रह्म परमात्मा का साक्षात्कार होता है, ऎसे आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

जम्बूद्वीपे महाक्षेत्रे मातापुरनिवासिने । जयमान: सतां देव दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।9।।
हिंदी अर्थ – जम्बूद्वीप के विशाल क्षेत्र के अन्तर्गत मातापुर नामक स्थान में निवास करने वाले, संतों के मध्य सदा प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाले आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे । नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।10।।
हिंदी अर्थ – हाथ में सुवर्णमय भिक्षापात्र धारण किये हुए, ग्राम-ग्राम और घर-घर में भिक्षाटन करने वाले तथा अनेक प्रकार के दिव्य स्वादयुक्त भिक्षा ग्रहण करने वाले आप दत्तात्रेय जी को मेरा प्रमाण है।

ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले । प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।11।।
हिंदी अर्थ – ब्रह्मज्ञानयुक्त ज्ञानमुद्रा को धारण करने वाले और आकाश तथा पृथिवी को ही वस्त्ररूप में धारण करने वाले, अत्यन्त ठोस ज्ञानयुक्त बोधमय विग्रह वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

अवधूत सदानन्द परब्रह्मस्वरूपिणे । विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।12।।
हिंदी अर्थ – अवधूत वेष में सदा ब्रह्मानन्द में निमग्न रहने वाले तथा परब्रह्म परमात्मा के ही स्वरूप, शरीर होने पर भी शरीर से ऊपर उठकर जीवन्मुक्तावस्था में स्थित रहने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

सत्यरूप सदाचार सत्यधर्मपरायण । सत्याश्रय परोक्षाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।13।।
हिंदी अर्थ – साक्षात सत्य के रूप, सदाचार के मूर्तिमान स्वरूप और सत्य भाषण तथा धर्माचरण में लीन रहने वाले, सत्य के आश्रय और परोक्ष रूप में परमात्मा तथा दिखायी न पड़ने पर भी सर्वत्र व्याप्त आप दतात्रेय जी को मेरा प्रणाम है।

शूलहस्त गदापाणे वनमालासुकन्धर । यज्ञसूत्रधर ब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।14।।

हिंदी अर्थ – हाथ में शूल और गदा धारण करने वाले, वनमाला से सुशोभित कंधों वाले, यज्ञोपवीत धारण किए हुए ब्राह्मणस्वरूप आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

Shri Dattatreya Stotram

क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च । दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।15।।
हिंदी अर्थ – क्षर (नश्वर विश्व) और अक्षर (अविनाशी परमात्मा) रूप में सर्वत्र व्याप्त, पर से भी परे, स्तोत्र-पाठ करने पर शीघ्र मोक्ष प्रदान करने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

दत्तविद्याय लक्ष्मीश दत्तस्वात्मस्वरूपिणे । गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।16।।
हिंदी अर्थ – समस्त विद्याओं को प्रदान करने वाले, लक्ष्मी के स्वामी, प्रसन्न होकर आत्मस्वरूप को ही देने वाले, त्रिगुणात्मक एवं गुणों से अतीत निर्गुण अवस्था में रहने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

शत्रुनाशकरं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञानदायकम् सर्वपापशमं याति दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।17।।
हिंदी अर्थ – यह स्तोत्र बाह्य तथा आभ्यन्तर (काम, क्रोध, मोहादि) सभी शत्रुओं को नष्ट करने वाला, शास्त्रज्ञान तथा अनुभवजन्य अध्यात्मज्ञान – दोनों को प्रदान करने वाला है, इसका पाठ करने से सभी पाप तत्काल नष्ट हो जाते हैं। ऐसे इस स्तोत्र के आराध्य आप दतात्रेय जी को मेरा प्रमाण है।

इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्तप्रत्यक्षकारकम् । दत्तात्रेयप्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम् ।।18।।

हिंदी अर्थ – यह स्तोत्र बहुत दिव्य है। इसके पढ़ने से दत्तात्रेय जी का साक्षात दर्शन होता है। दत्तात्रेय जी के अनुग्रह से ही शक्ति-संपन्न हो कर नारदजी ने इसकी रचना की है।

इति श्रीनारदपुराणे नारदविरचितं दत्तात्रेयस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

——-

Read more: यहां पढ़ें

Gayatri Chalisa : गायत्री चालीसा एवं गायत्री मंत्र का उच्चारण करते वक़्त भूल कर भी न करें ये काम, नहीं तो जीवन में करना पड़ सकता है बड़ी मुश्किलों का सामना

Gayatri Mata ki Aarti : यहाँ पढ़ें माँ गायत्री की मनमोहक आरती, घर में आएगी सुख समृद्धि और ख़ुशहाली

Mangla Gauri Vrat 2024 : ‘सारी मुश्किलों का एक मात्र समाधान हैं मंगला गौरी व्रत’, जानिये पूजन विधि, लाभ एवं पावन आरती

Mangla Gauri Stotra : यदि मनचाहा साथी पाने की है चाह, तो हर मंगलवार आवश्य पढ़ें मंगला गौरी स्तोत्र, दूर होंगी सभी रुकावटें