Shiva Mangalashtakam : आठ श्लोकों का ये शक्तिशाली स्तोत्र भगवान शिव को समर्पित है। इसमें भक्त भगवान से मंगल की कामना करते हैं। मंगल का मतलब है शुभकामनाएं या सुखद अंत की कामना। शिव मंगलाष्टकम का पाठ करने से जातक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, सुख-समृद्धि और यश बढ़ता है साथ ही साथ शिव जी की कृपा सदैव बनी रहती है। शिव पूजा के अंत में या उससे पहले शिव मंगलाष्टकम का पाठ किया जाता है। सोमवार और सावन के महीने में इस स्तोत्र का पाठ करने से और भी ज़्यादा फ़ायदे मिलते हैं। कई धार्मिक गीत गाए जा रहे हों या कोई शुभ समारोह या अनुष्ठान हो रहा हो, तब भी इसका पाठ किया जाता है।
Shiva Mangalashtakam : आईये यहाँ प्रस्तुत है श्री शिव मंगलाष्टकम
|| श्री शिवमङ्गलाष्टकम् ||
भवाय चन्द्रचूडाय निर्गुणाय गुणात्मने ।
कालकालाय रुद्राय नीलग्रीवाय मङ्गलम् ॥ १ ॥
वृषारूढाय भीमाय व्याघ्रचर्माम्बराय च ।
पशूनां पतये तुभ्यं गौरीकान्ताय मङ्गलम् ॥ २ ॥
Shiva Mangalashtakam
भस्मोद्धूलितदेहाय व्यालयज्ञोपवीतिने ।
रुद्राक्षमालाभूषाय व्योमकेशाय मङ्गलम् ॥ ३ ॥
सूर्यचन्द्राग्निनेत्राय नमः कैलासवासिने ।
सच्चिदानन्दरूपाय प्रमथेशाय मङ्गलम् ॥ ४ ॥
Shiva Mangalashtakam
मृत्युंजयाय सांबाय सृष्टिस्थित्यन्तकारिणे ।
त्र्यंबकाय सुशान्ताय त्रिलोकेशाय मङ्गलम् ॥ ५ ॥
गंगाधराय सोमाय नमो हरिहरात्मने ।
उग्राय त्रिपुरघ्नाय वामदेवाय मङ्गलम् ॥ ६ ॥
Shiva Mangalashtakam
सद्योजाताय शर्वाय दिव्यज्ञानप्रदायिने ।
ईशानाय नमस्तुभ्यं पञ्चवक्त्राय मङ्गलम् ॥ ७ ॥
सदाशिवस्वरूपाय नमस्तत्पुरुषाय च ।
अघोरायच घोराय महादेवाय मङ्गलम् ॥ ८ ॥
Shiva Mangalashtakam
मङ्गलाष्टकमेतद्वै शंभोर्यः कीर्तयेद्दिने ।
तस्य मृत्युभयं नास्ति रोगपीडाभयं तथा ॥ ९ ॥
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