Shardiya Navratri 2024 : हिंदू धर्म में हर दिन, तिथि, ग्रह-नक्षत्र, योग और तिज-त्योहारों का खास महत्व होता है। ऐसे में इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरूआत 3 अक्टूबर 2024 अश्विन अमावस्या को पितरों की विदाई के बाद ही आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को माँ दुर्गा का आगमन होगा। जिसका समापन 12 अक्टूबर को दशहरा के साथ होगा। इस आश्विन नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है। मान्यता है कि जिस घर में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना होती है, उस घर के संकट कट जाते हैं। देवी का आशीर्वाद आपके जीवन में अपार खुशियां लाती है।
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नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और जौ-ज्वार बोना बेहद शुभ माना गया है। नवरात्रि में कलश स्थापना और मिट्टी के बर्तन में जौ बोने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। सनातन धर्म के मन्यताओं के अनुसार जवारा के बोने से उगने और उसके रंग से कई तरह के संकेत मिलते हैं, हरा जवारा खुशहाली का प्रतीक होता है। सफेद जौ अनुष्ठान सिद्धी का प्रतीक होता है।
मान्यता है कि अगर जौ का रंग ऊपर आधा हरा और नीचे आधा पीला हो,तो इसका मतलब आने वाला साल आधा समय मुश्किल-भरा हो सकता है, लेकिन बाद में परिस्थितियां सामान्य हो जाएंगे। वहीं अगर जौ का रंग ऊपर आधा पीला और नीचे आधा रह जाए, तो यह साल की शुरुआत शुभ और बाद के समय में चुनौतियों के आगमन का संकेत हो सकता है। जौ सफेद या हरे रंग में उग रहा हो, तो यह अति शुभ संकेत माना जाता है। वहीं, जौ अगर सुखी और पीली होकर झरने लगे, तो यह अच्छा संकेत नहीं माना जाता है। ऐसे में देवी भगवती से कष्टों के निवारण के लिए विधि-विधान से पूजा करना चाहिए।
Shardiya Navratri 2024 : नवरात्रि के बाद इस जौ को नवमीं और दसवीं तिथि के दिन बड़े धूमधाम से जवारा का विर्सजन किया जाता है। कहा जाता है कि, कुछ ज्वारों को घर के तिजोरी में रख सकते हैं। घर के सभी लोग अपने पर्स में एक या दो ज्वारे रख सकते हैं। इसके साथ कुछ लोग जौ की इस मिट्टी को मंदिर में भी रखा जाता है।