नई दिल्ली। shani dosh nivaran mantra, हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि जिस जातक की कुंडली में शनि दोष होता है, उसे जीवन में कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ सकती है। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि शनिदेव के नाराज होने पर व्यक्ति को क्या संकेत मिलते हैं और किस तरह आप शनि दोष के प्रभाव को कम कर सकते हैं। और शनि दोष से मुक्ति पाने के मंत्र कौन से हैं।
shani dosh nivaran mantra दरअसल, शनिदेव के नाराज होने पर व्यक्ति को जीवन में परिश्रम के अनुसार, उसका फल नहीं मिलता और करियर में भी अड़चन आने लगती है। इसके साथ ही व्यक्ति के रिश्तेदार और मित्रों से रिश्ते खराब होने लगते हैं और विवाद की स्थिति बनने लगती है। इतना ही नहीं, शनिदेव के नाराज होने पर व्यक्ति को कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी लगाने पड़ सकते हैं।
साथ ही अचानक से व्यक्ति की पद-प्रतिष्ठा में कमी आने लगती है। ऐसी स्थिति में आप किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह ले सकते हैं और अपनी कुंडली का परीक्षण करवा सकते हैं। यदि आपकी कुंडली में शनि की महादशा, अंतर्दशा, साढ़े साती या ढैय्या की स्थिति बन रही है, तो इससे संबंधित उपाय करने चाहिए।
शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शनिवार के दिन विशेष रूप से पूजा-पाठ करनी चाहिए। इसी के साथ पीपल वृक्ष पर जल अर्पित कर, सात बार वृक्ष की परिक्रमा करें। साथ ही जातक को शनिदेव की स्तुति व चालीसा का पाठ करना चाहिए और मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा कर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। उन कार्यों से दूरी बनानी चाहिए, जिससे शनिदेव नाराज हो सकते हैं। इसी के साथ वस्त्र, तिल, उड़द, गुड़, सरसों का तेल आदि दान करने से भी ग्रह दोष शांत हो सकता है।
ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है। व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार शनिदेव फल देते हैं। अच्छे कर्म करने वाले लोगों को शुभ फल देते हैं। वहीं, बुरे कर्म करने वाले लोगों को दंडित करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो शनिदेव की कृपा बरसने पर सामान्य व्यक्ति भी अपने जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल करता है। वहीं, शनिदेव की कुदृष्टि पड़ने पर जातक को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। अगर आप भी शनि दोष से परेशान हैं, तो रोजाना पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।
read more: न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री की ‘लिमोजिन’ से पुलिस की कार टकराई, किसी के हताहत होने की खबर नहीं
1. ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंय्यो रभिस्त्रवन्तु नः।।
2. ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्’
3. ॐ सर्वतीर्थ समूदभूतं पाद्यं गन्धदिभिर्युतम् |
अनिष्ट हर्त्ता गृहाणेदं भगवन शनि देवताः ||
4. ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”।
ऊँ शं शनैश्चराय नम:।।
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः।।
5. ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
6. नीलाम्बरः शूलधरः किरीटी गृध्रस्थित स्त्रस्करो धनुष्टमान् |
चतुर्भुजः सूर्य सुतः प्रशान्तः सदास्तु मह्यां वरदोल्पगामी ||
7. ॐ भग्भवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो सौरी: प्रचोदयात।
8. अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।
9. ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
10. भो शनिदेवः चन्दनं दिव्यं गन्धादय सुमनोहरम् |
विलेपन छायात्मजः चन्दनं प्रति गृहयन्ताम् ||
11. ॐ शनिदेव नमस्तेस्तु गृहाण करूणा कर |
अर्घ्यं च फ़लं सन्युक्तं गन्धमाल्याक्षतै युतम् ||