Shani Dev ki Aarti : अशुभ ग्रहों की शांति अथवा हर कार्य में सफलता पाने के लिए हर शनिवार आवश्य करें श्री शनि देव जी की आरती | Shani Dev ki Aarti

Shani Dev ki Aarti : अशुभ ग्रहों की शांति अथवा हर कार्य में सफलता पाने के लिए हर शनिवार आवश्य करें श्री शनि देव जी की आरती

Shani Dev ki Aarti : अशुभ ग्रहों की शांति अथवा हर कार्य में सफलता पाने के लिए हर शनिवार आवश्य करें श्री शनि देव जी की आरती

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Modified Date: August 24, 2024 / 07:00 PM IST
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Published Date: August 24, 2024 3:04 pm IST

Shani Dev ki Aarti : शनि देव की पूजा से उग्र और अशुभ ग्रह शांत होते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. शनि देव की पूजा से रोग,ऋण, संतानहीनता,नौकरी-व्यापार में बाधा जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है. सच्चे मन से की गई पूजा से शनि देव प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं पौराणिक कथा के अनुसार, कश्यप मुनि के वंशज भगवान सूर्यनारायण की पत्नी स्वर्णा (छाया) की कठोर तपस्या से ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि का जन्म हुआ. माता ने शंकर जी की कठोर तपस्या की. तेज गर्मी व धूप के कारण माता के गर्भ में स्थित शनि का वर्ण काला हो गया. पर इस तप ने बालक शनि को अद्भुत व अपार शक्ति से युक्त कर दिया शनिदेव की पूजा अर्चना के पश्चात् आरती ज़रूर करनी चाहिए प्रभु प्रसन्न होकर देते हैं शुभ आशीष

Shani Dev ki Aarti : आईये पढ़ें और सुनें श्री शनि देव जी की आरती 

ॐ जय जय शनि महाराज,
स्वामी जय जय शनि महाराज ।
कृपा करो हम दीन रंक पर,
दुःख हरियो प्रभु आज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥

सूरज के तुम बालक होकर,
जग में बड़े बलवान ।
सब देवताओं में तुम्हारा,
प्रथम मान है आज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥

Shani Dev ki Aarti

विक्रमराज को हुआ घमण्ड फिर,
अपने श्रेष्ठन का ।
चकनाचूर किया बुद्धि को,
हिला दिया सरताज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥

प्रभु राम और पांडवजी को,
भेज दिया बनवास ।
कृपा होय जब तुम्हारी स्वामी,
बचाई उनकी लॉज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥

Shani Dev ki Aarti

शुर-संत राजा हरीशचंद्र का,
बेच दिया परिवार ।
पात्र हुए जब सत परीक्षा में,
देकर धन और राज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥

गुरुनाथ को शिक्षा फाँसी की,
मन के गरबन को ।
होश में लाया सवा कलाक में,
फेरत निगाह राज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥

Shani Dev ki Aarti

माखन चोर वो कृष्ण कन्हाइ,
गैयन के रखवार ।
कलंक माथे का धोया उनका,
खड़े रूप विराज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥

देखी लीला प्रभु आया चक्कर,
तन को अब न सतावे ।
माया बंधन से कर दो हमें,
भव सागर ज्ञानी राज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥

Shani Dev ki Aarti

मैं हूँ दीन अनाथ अज्ञानी,
भूल भई हमसे ।
क्षमा शांति दो नारायण को,
प्रणाम लो महाराज ॥
॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥

ॐ जय जय शनि महाराज,
स्वामी जय-जय शनि महाराज ।
कृपा करो हम दीन रंक पर,
दुःख हरियो प्रभु आज ॥

॥ ॐ जय जय शनि महाराज ॥

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