हे श्याम वर्ण वाले, हे नीलकंठ वाले,
कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले,
स्वीकारो नमन हमारे, शनिदेव हम हैं तुम्हारे,
सच्चे सुकर्म वाले हैं, बसते हो मन में तुम ही हमारे !
हे शनि तुम हो सबसे बेमिसाल,
तुमसे आंख मिलाए किसकी है मजाल,
सूर्य के हो पुत्र तुम और छाया के लाल,
मूरत तेरी देखकर भाग जाए काल।
हे शनि देव जिस पर होती है आपकी वक्र दृष्टि,
उस व्यक्ति का पल भर में विनाश है निश्चित,
आपकी कुदृष्टि से राजा भी होता है पल में भिखारी,
नहीं डूबती उनकी नैय्या, जो होते हैं शरण तिहारी।
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