Satguru Main Teri Patang : "सतगुरु मैं तेरी पतंग... मैं कट्टी जावांगी"। दिलों पर राज करने वाले सतगुरु जी के इस भजन ने आते साथ ही मचाई धूम | Satguru Main Teri Patang

Satguru Main Teri Patang : “सतगुरु मैं तेरी पतंग… मैं कट्टी जावांगी”। दिलों पर राज करने वाले सतगुरु जी के इस भजन ने आते साथ ही मचाई धूम

Satguru main teri patang... main katti jaaungi. This bhajan of Satguru ji who rules the hearts created a sensation as soon as it arrived

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Modified Date: January 6, 2025 / 04:57 PM IST
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Published Date: January 6, 2025 4:28 pm IST

Satguru Main Teri Patang : गुरु गोबिन्द सिंह सिखों के दसवें और अंतिम गुरु थे। श्री गुरू तेग बहादुर जी के बलिदान के उपरान्त 11 नवम्बर सन् 1675 को 10 वें गुरू बने। आप एक महान योद्धा, चिन्तक, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। सन् 1699 में बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ (पन्थ) की स्थापना की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
गुरु गोबिन्द सिंह ने पवित्र (ग्रन्थ) गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में प्रतिष्ठित किया। बचित्तर नाटक उनकी आत्मकथा है। यही उनके जीवन के विषय में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है।

Satguru Main Teri Patang : आईये यहाँ प्रस्तुत है सतगुरु जी का ये पावन गीत

सतगुरु मैं तेरी पतंग,
बाबा मैं तेरी पतंग,
हवा विच उडदी जावांगी,
हवा विच उडदी जावांगी ।
साईयां डोर हाथों छोड़ी ना,
मैं कट्टी जावांगी ॥

Satguru Main Teri Patang

बड़ी मुश्किल दे नाल मिलेय मेनू तेरा दवारा है ।
मेनू इको तेरा आसरा नाले तेरा ही सहारा है ।
हुन तेरे ही भरोसे, हवा विच उडदी जावांगी,
साईंया डोर हाथों छोड़ी ना, मैं कट्टी जावांगी ॥

Satguru Main Teri Patang

ऐना चरना कमला नालो मेनू दूर हटावी ना ।
इस झूठे जग दे अन्दर मेरा पेचा लाई ना ।
जे कट गयी ता सतगुरु, फेर मैं लुट्टी जावांगी,
साईंया डोर हाथों छोड़ी ना, मैं कट्टी जावांगी ॥

Satguru Main Teri Patang

अज्ज मलेया बूहा आके मैं तेरे द्वार दा ।
हाथ रख दे एक वारि तूं मेरे सर ते प्यार दा ।
फिर जनम मरण दे गेडे तो मैं बच्दी जावांगी,
साईंया डोर हाथों छोड़ी ना, मैं कट्टी जावांगी ॥

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