रायपुर: सावन महीने के अंतिम दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है, इस बार भी तीन अगस्त बहने अपने भाई की कलाई में राखी बांधकर रक्षा का वचन लेंगी। रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के समय भद्राकाल और राहुकाल का विशेष ध्यान दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भद्राकाल और राहुकाल में राखी नहीं बांधी जाती, ऐसा माना जाता है कि भद्राकाल और राहुकाल में राखी बांधना शुभ नहीं होता। लेकिन क्या आपको पता है कि भद्राकाल को लेकर पुराणों में क्या मान्यता है, क्यों इस समय पर कोई भी काम शुभ नहीं माना जाता? तो आइए हम आपको बताते हैं भद्राकाल और राहुकाल को लेकर क्या मान्यताएं प्रचलित है।
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पुराणों में बताया गया है कि भद्रा शनिदेव की बहन है और वह उग्र स्वभाव की थी। उग्र स्वभाव के चलते ब्रम्हाजी ने भद्र को शाप दिया था कि जो भी भद्राकाल में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करेगा उसमें उसे सफलता नहीं मिलेगी। बताया जाता है कि लंका नरेश रावण ने भाद्राकाल में ही अपनी बहन सूर्पनखा से राखी बंधवाई थी, इसीलिए उसका सर्वनाश हो गया। इसी मान्यता के चलते भाद्राकाल में राखी नहीं बांधी जाती।
रक्षाबंधन के लिए शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार रक्षाबंधन बहुत ही शुभ दिन पर मनाया जाएगा। 3 अगस्त को सोमवार और सोम का ही नक्षत्र होने रक्षाबंधन का मुहूर्त बहुत ही शुभ रहेगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन सुबह 9 बजकर 29 मिनट तक ही भद्रा रहेगी, उसके बाद भद्रा खत्म हो जाएगी।। भद्रा की समाप्ति के बाद पूरे दिन राखी बांधी जा सकती है। वहीं, इस राहुकाल सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक रहेगा।
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