रायपुर: Radha Krishna Married or Not? सीहोर के कुबेरेश्वर धाम वाले कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने राधारानी को लेकर ऐसी टिप्पणी कर दी है कि विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। जहां एक ओर उज्जैन स्थित महर्षि सांदीपनि के वंशज पंडित रूपम व्यास ने नाक रगड़कर माफी मांगने की बात कही है तो दूसरी ओर ब्रज मंडल के संतों ने उन्हें तीन दिन के भीतर माफी मांगने का अल्टीमेटम दिया है। हालांकि प्रदीप मिश्रा ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया से बात की, लेकिन राधारानी वाले मुद्दे से बचते नजर आए। ऐसे में लोग अब ये जानने के लिए उत्सुक हैं कि क्या राधारानी ने श्रीकृष्ण से शादी की थी? तो चलिए जानते हैं देश के संतों और शास्त्र के जानकारों का इस संबंध में क्या कहना है।
Radha Krishna Married or Not? लाइव हिंदूस्तान में छपी एक लेख के अनुसार ”ब्रह्मवैवर्त पुराण और गर्ग संहिता में राधा और कृष्ण के विवाह का जिक्र मिलता है। इसके मुताबिक खुद जगद्गुरु ब्रह्मा ने राधा और कृष्ण की शादी कराई थी। इस कथा के मुताबिक जब कृष्ण छोटे थे, तब नंद बाबा उन्हें गायें चराने के लिए साथ ले गए थे। गायें चर रही थीं और नंदबाबा थक गए, इसलिए वह एक पेड़ के नीचे लेट गए और उनकी आंख लग गई। कुछ देर बाद उनकी आंखें खुली तो सूरज ढल चुका था और चारों तरफ अंधेरा हो गया था। नंदबाबा डर गए। तभी उन्हें दूर से एक रोशनी दिखाई दी। एक गोपी उनकी ओर बढ़ रही थी। वो गोपी और कोई नहीं बल्कि राधा थीं। राधा ने देवी का रूप धारण किया था। नंदबाबा राधा को जानते थे इसलिए उन्होंने नन्हे कान्हा उसे सौंप दिया और कहा कि वह सही सलामत उसे घर ले जाकर यशोदा को दे दें। फिर नंदबाबा अपनी गायों को लेकर वहां से चले गए। राधा ने नन्हे कान्हा को प्यार से गाल पर चूमा। तभी एक चमत्कार हुआ और राधा की गोदी से नन्हे कान्हा गायब हो गए। कुछ ही पल में राधा के सामने कृष्ण भगवान के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने राधा को अपने प्रेम का इजहार किया। राधा भी श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं। मगर वह कृष्ण को खोने से डरती थीं। श्रीकृष्ण ने राधा को थोड़ी दूर रुकने के लिए कहा। कुछ ही समय में जगद्गुरु ब्रह्मा वहां प्रकट हुए। उन्होंने मंत्रोच्चार किया और अग्निकुंड के साथ राधा और कृष्ण ने गंधर्व विवाह संपन्न किया। विवाह होने के बाद ब्रह्माजी चले गए और कृष्ण भी अपनी बाल्यावस्था में वापस आ गए। कहा जाता है कि बृज में ही भांडीरवन नाम की एक जगह इस बात की गवाह है कि कृष्ण और राधा का विवाह हुआ था।”
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जागरण में छपी एक लेख की मानें तो भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी से शादी नहीं की थी। लेख में बताया किया है कि ”भगवान कृष्ण चार-पांच साल के रहे होंगे। वे अपने पिता के साथ गाय चराने खेतों में जाया करते थे। एक दिन अचानक तेज बारिश हुई और कृष्ण भगवान ने रोना शुरु कर दिया। कृष्ण जी रोने लगे तो उनके पिता ने उन्हें चुप कराने के लिए गले लगा लिया था। कृष्ण के पिता परेशान हो गए कि उन्हें इस मौसम में अपनी गायों के साथ-साथ कृष्ण का भी ध्यान देना होगा। सामने से एक सुंदर कन्या आते हुए दिखी। तब कृष्ण जी के पिता का मन शांति से भर गया और उन्होंने उस कन्या को कृष्ण की देखभाल करने के लिए कहा। उस कन्या ने भी न नहीं कहा, वह फट से कृष्ण की देखभाल करने के लिए राजी हो गई। उस लड़की को एक दिन अकेला देख कर कृष्ण भगवान युवक बन उसके सामने प्रकट हुए। बता दें कि वह कृष्ण जी की प्रेमिका राधा थी। इस तरह दोनों की पहली मुलाकात हुई। माना जाता है कि कृष्ण और राधा की भले ही कभी शादी न हुई हो पर वे दोनों कभी अलग नहीं हुए। उनके बीच का प्रेम कभी शारीरिक नहीं था। यही वजह है कि उनका प्रेम आज भी अमर है। कुछ पौराणिक कहानियों की मानें तो राधा खुद को कृष्ण के लायक नहीं समझती थीं। इसलिए वे प्रेम करते हुए भी कृष्ण से शादी न करने के फैसले पर अटल रहीं। यही वजह है कि दोनों ने कभी शादी नहीं की।”
ईसा जगतगुरु फाउंडेशन की अधिकारिक वेबसाइट में छपी एक लेख की मानें तो ”कृष्ण बचपन से नंद और यशोदा के साथ रह रहे थे। अचानक उन्हें बताया गया कि वह उनके पुत्र नहीं हैं। यह सुनते ही वह वहीं उठ खड़े हुए और अपने अंदर एक बहुत बड़े रूपांतरण से होकर गुजरे। अचानक कृष्ण को महसूस हुआ कि हमेशा से कुछ ऐसा था, जो उन्हें अंदर ही अंदर झकझोरता था। लेकिन वह इन उत्तेजक भावों को दिमाग से निकाल देते थे और जीवन के साथ आगे बढ़ जाते थे। जैसे ही गर्गाचार्य ने यह राज कृष्ण को बताया, उनके भीतर न जाने कैस-कैसे भाव आने लगे! उन्होंने गुरु से विनती की, ‘कृपया, मुझे कुछ और बताइए।’ गर्गाचार्य कहने लगे, ‘नारद ने तुम्हें पूरी तरह पहचान लिया है। तुमने सभी गुणों को दिखा दिया है। तुम्हारे जो लक्षण हैं, वे सब इस ओर इशारा करते हैं कि तुम ही वह मनुष्य हो, जिसके बारे में बहुत से ऋषि मुनि बात करते रहे हैं। नारद ने हर चीज की तारीख, समय और स्थान तय कर दिया था और तुम उन सब पर खरे उतरे हो।’ कृष्ण अपने आसपास के लोगों और समाज के लिए पूरी तरह समर्पित थे। राधे और गांव के लोगों के प्रति उनके मन में गहरा लगाव और प्रेम था, लेकिन जैसे ही उनके सामने यह राज आया कि उनका वहां से संबंध नहीं है, वह किसी और के पुत्र हैं, उनका जन्म कुछ और करने के लिए हुआ है,तो उनके भीतर सब कुछ बदल गया। ये सब बातें उनके भीतर इतने जबर्दस्त तरीके से समाईं कि वह चुपचाप उठे और धीमे कदमों से गोवर्द्धन पर्वत की ओर चल पड़े। वह इतनी ज्यादा भाव-विभोर और आनंदमय हो गईं कि अपने आसपास की हर चीज से वह बेफ्रिक हो गईं। कृष्ण जानते थे कि राधे के साथ क्या घट रहा है। वह उनके पास गए, उन्हें बांहों में लिया, अपनी कमर से बांसुरी निकाली और उन्हें सौंपते हुए बोले, ‘राधे, यह बांसुरी सिर्फ तुम्हारे लिए है।”
वहीं आज तक ने भी प्रचलित कथाओं के आधार पर राधा कृष्ण की शादी को लेकर एक लेख प्रकाशित की है। इस लेख में बताया गया है कि ”कुछ विद्वानों के मुताबिक, राधा-कृष्ण की कहानी मध्यकाल के अंतिम चरण में भक्ति आंदोलन के बाद लोकप्रिय हुई। उस समय के कवियों ने इस आध्यात्मिक संबंध को एक भौतिक रूप दिया। प्राचीन समय में रुक्मिनी, सत्यभामा, समेथा श्रीकृष्णामसरा प्रचलित थी जिसमें राधा का कोई जिक्र नहीं मिलता है। देवकी पुत्र श्रीकृष्ण कुछ समय तक गोकुल में रहे और उसके बाद वृंदावन चले गए थे। श्रीकृष्ण राधा से 10 साल की उम्र में मिले थे। उसके बाद वह कभी वृंदावन लौटे ही नहीं। इसके अलावा कहीं यह जिक्र भी नहीं मिलता है कि राधा ने कभी द्वारका की यात्रा की हो। दक्षिण भारत के प्राचीन ग्रन्थों में राधा का कोई उल्लेख नहीं मिलता है।”
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”एक मत यह भी है कि राधा ने श्रीकृष्ण से विवाह करने से मना कर दिया था क्योंकि उन्हें लगता था कि वह महलों के जीवन के लिए उपयुक्त नहीं हैं। राधा एक ग्वाला थीं, जबकि लोग श्रीकृष्ण को किसी राजकुमारी से विवाह करते हुए देखना चाहते थे। श्रीकृष्ण ने राधा को समझाने की कोशिश की लेकिन राधा अपने निश्चय में दृढ़ थीं।” ”एक अन्य प्रचलित व्याख्या के मुताबिक, राधा ने एक बार श्रीकृष्ण से पूछा कि वह उनसे विवाह क्यों नहीं करना चाहते हैं? तो भगवान श्रीकृष्ण ने राधा को बताया कि कोई अपनी ही आत्मा से विवाह कैसे कर सकता है? श्रीकृष्ण का आशय था कि वह और राधा एक ही हैं। उनका अलग-अलग अस्तित्व नहीं है। राधा को यह एहसास हो गया था कि श्रीकृष्ण भगवान हैं और वह श्रीकृष्ण के प्रति एक भक्त की तरह थीं। वह भक्तिभाव में खो चुकी थीं, जिसे कई बार लोग भौतिक प्रेम समझ लेते हैं। इसलिए कुछ का मानना है कि राधा और श्रीकृष्ण के बीच विवाह का सवाल पैदा ही नहीं होता है, राधा और श्रीकृष्ण के बीच का रिश्ता एक भक्त और भगवान का है। राधा का श्रीकृष्ण से अलग अस्तित्व नहीं है, विवाह के लिए दो लोगों की आवश्यकता होती है।”
गौरतलब है कि पंडित प्रदीप मिश्रा बीते दिनों मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के प्रसिद्ध धाम ओंकारेश्वर में शिव महापुराण की कथा कर रहे थे। उन्होंने अपनी कथा के दौरान राधा रानी के जन्म स्थान और विवाह पर कुछ बातें कही थीं। जो कि बृजवासियों को नागवार गुजरी हैं। इस पर प्रेमानंद महाराज ने तीखे तेवर दिखाते हुए बिना नाम लिए प्रदीप मिश्रा को खरी-खरी सुनाईं हैं। इस पर प्रदीप मिश्रा सफाई भी दे चुके हैं। हालांकि अभी भी यह मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है।
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