Mokshada Ekadashi Kab Hai 2024:

Mokshada Ekadashi 2024: इस दिन रखा जाएगा मोक्षदा एकादशी का व्रत, जानिए क्या है इसका महत्व और पूजा विधि

Mokshada Ekadashi 2024: इस दिन रखा जाएगा मोक्षदा एकादशी का व्रत, जानिए क्या है इसका महत्व और पूजा विधि

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Modified Date:  November 28, 2024 / 04:42 PM IST
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Published Date:  November 28, 2024 4:42 pm IST

Mokshada Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में साल के 12 महीने में कई तरह के व्रत, त्योहार आते हैं। जिसे बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है और इन सबका अपना-अलग महत्व भी होता है। ऐसे में कुछ दिनों बाद मोछदा एकादशी मनाई जाएगी। हर साल मोक्षदा एकादशी, मार्गशीर्ष महीने की एकादशी तिथि को मनाई जाती है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या से पहले की ग्यारहवीं तिथि होती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा होती है और एकादशी व्रत का पालन किया जाता है। कहा जाता है कि, इस एकादशी के व्रत साधक को सारे पापों से मुक्ति मिलती है। पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए मोक्षदा एकादशी का व्रत रखना शुभ माना गया है।

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मोक्षदा एकादशी का महत्व

मान्यता है कि, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इसे गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जीवन के मूल सिद्धांत और धर्म का मार्ग दिखाया था। विष्णु पुराण में मोक्षदा एकादशी को बहुत ही खास माना जाता है। ये व्रत पितरों की आत्मा शांति के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार राजा वैखानस के द्वारा मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा था जिसके तप से उनके पिता को नरक से छुटकारा मिला था। इस व्रत को रखने से साधक को भी पापों से मुक्ति मिलती है और अंत समय में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पूजा का शुभ मुहुर्त और तिथि

एकादशी तिथि की शुरुआत 11 दिसंबर को देर रात 3 बजकर 42 मिनट से होकर 12 दिसंबर को देर रात्रि 1 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगी। मोक्षदा एकादशी व्रत 11 दिसंबर बुधवार को रखा जाएगा। मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण करने का समय 12 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 5 मिनट से लेकर 9 बजकर 9 मिनट तक रहेगा।

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Mokshada Ekadashi 2024: पूजा विधि

मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और पीले रंग का वस्त्र धारण करें। उसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। इस दिन भगवान विष्णु को पीला चंदन, अक्षत, पीले फूल अवश्य अर्पित करें। इस दिन विधिवत विष्णु जी की पूजा करें और मोक्षदा एकादशी की कथा का पाठ जरूर करें। अंत में आरती करें और भोग लगाएं। व्रत के अगले दिन दान करें और व्रत का पारण करें।

व्रत के लाभ

इस दिन उपवासी रहकर, पवित्र नदियों में स्नान और यथासंभव श्रद्धा भाव से पूजा करने से न केवल पितरों को मोक्ष मिलता है, बल्कि व्यक्ति को भी जीवन के सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। इसे एक अत्यधिक पुण्य देने वाला दिन माना जाता है। व्रत के दौरान, यदि श्रद्धा और पूर्ण निष्ठा के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाए तो व्यक्ति को न केवल भौतिक सुख, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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