Vat Savitri Vrat: आज वट सावित्रि व्रत है। जेष्ठ मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत मनाया जाता है। आज ही के दिन शनि जयंती के कारण ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है। शोभन योग, गजकेसरी योग और शश योग में पूजा की जाएगी। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ऐसा संयोग करीब 30 साल बाद बन रहा है। हिंदू धर्म में इस व्रत का बेहद खास महत्व होता है।
Vat Savitri Vrat: सुहागिन महिलायें अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत श्रद्धा भाव के साथ रखती हैं। बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यताएं है कि यह व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बट सावित्री अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई रात 9:42 बजे से हो चुकी है। इसका समापन 19 मई रात 9:22 बजे होगा। शनिवार, 20 मई को पारण किया जाएगा।
Vat Savitri Vrat: पूजा की थाली में कुछ चीजों को शामिल करना बेहद जरूरी होता है। यदि आप भी व्रत कर रहे हैं तो इन चीजों को शामिल करना ना भूलें। बांस का पंखा, सावित्री सत्यवान की मूर्तियां, लाल कलावा, धूप, दीप, फल, घी, पुष्प, मूंगफली के दाने, गुड़, चना, सुहाग का सामान, रोली, बरगद का फल, जल से भरा कलश और पुड़ियां।
– वट सावित्री की पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ कपड़े धारण करें।
– Vat Savitri Vrat: पूजा के के दौरान महिलाओं का 16 शृंगार करना शुभ माना जाता है।
– घर के मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें।
– वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्तियां रखें।
– Vat Savitri Vrat: मूर्तियों और वृक्ष पर जल अर्पित करें।
– फिर सभी पूजन सामग्री को चढ़ाए।
– गुड़, चना, मूंगफली के दाने का भोग लगाएं।
– Vat Savitri Vrat: पुष्प अर्पित और अक्षत अर्पित करें।
– लाल कलावा बरगद वृक्ष पर बांधते हुए 7 बार परिक्रमा करें।
– इस दिन वट सावित्री की कथा सुनना ना भूलें।
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