Krishna Chalisa with lyrics : जन्माष्टमी पर आवश्य पढ़े श्री कृष्ण चालीसा, मिलेंगी भरपूर खुशियां, प्रभु की होगी असीम कृपा | Krishna Chalisa with lyrics

Krishna Chalisa with lyrics : जन्माष्टमी पर आवश्य पढ़े श्री कृष्ण चालीसा, मिलेंगी भरपूर खुशियां, प्रभु की होगी असीम कृपा

On Janmashtami, you must read Shri Krishna Chalisa, you will get a lot of happiness, God will bless you immensely

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Modified Date: October 5, 2024 / 03:56 PM IST
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Published Date: August 3, 2024 2:00 pm IST

Krishna Chalisa with lyrics : श्री कृष्ण चालीसा का नियमित पाठ सफलता, समृद्धि, उपलब्धि, खुशी, संतान, रोजगार और प्रेम का आशीर्वाद देने वाला माना जाता है। जातक को समाज में यश मिलता है। सुख-समृद्धि का जीवन में वास होता है। आर्थिक स्थिति बेहतर होती है और धन-वैभव की कमी नहीं होती। यह चालीसा भक्तों को भगवान कृष्ण के आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करती है। जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से कान्हा हो जाते हैं अत्यंत प्रसन्न और देते हैं मनचाहा वरदान

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Krishna Chalisa with lyrics : श्री कृष्ण चालीसा

बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम।
अरुणअधरजनु बिम्बफल, नयनकमलअभिराम॥

पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज।
जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥

जय यदुनंदन जय जगवंदन।
जय वसुदेव देवकी नन्दन॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥
जय नट-नागर, नाग नथइया॥
कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।
आओ दीनन कष्ट निवारो॥

Krishna Chalisa with lyrics
वंशी मधुर अधर धरि टेरौ।
होवे पूर्ण विनय यह मेरौ॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो।
आज लाज भारत की राखो॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥
राजित राजिव नयन विशाला।
मोर मुकुट वैजन्तीमाला॥
कुंडल श्रवण, पीत पट आछे।
कटि किंकिणी काछनी काछे॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे।
छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥

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Krishna Chalisa with lyrics

मस्तक तिलक, अलक घुंघराले।
आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥
करि पय पान, पूतनहि तार्‌यो।
अका बका कागासुर मार्‌यो॥
मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला।
भै शीतल लखतहिं नंदलाला॥
सुरपति जब ब्रज चढ़्‌यो रिसाई।
मूसर धार वारि वर्षाई॥
लगत लगत व्रज चहन बहायो।
गोवर्धन नख धारि बचायो॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई।
मुख मंह चौदह भुवन दिखाई॥

Krishna Chalisa with lyrics
दुष्ट कंस अति उधम मचायो॥
कोटि कमल जब फूल मंगायो॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें।
चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें॥
करि गोपिन संग रास विलासा।
सबकी पूरण करी अभिलाषा॥
केतिक महा असुर संहार्‌यो।
कंसहि केस पकड़ि दै मार्‌यो॥
मात-पिता की बन्दि छुड़ाई।
उग्रसेन कहं राज दिलाई॥
महि से मृतक छहों सुत लायो।
मातु देवकी शोक मिटायो॥
भौमासुर मुर दैत्य संहारी।
लाये षट दश सहसकुमारी॥
दै भीमहिं तृण चीर सहारा।
जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥
असुर बकासुर आदिक मार्‌यो।
भक्तन के तब कष्ट निवार्‌यो॥

Krishna Chalisa with lyrics

दीन सुदामा के दुख टार्‌यो।
तंदुल तीन मूंठ मुख डार्‌यो॥
प्रेम के साग विदुर घर मांगे।
दुर्योधन के मेवा त्यागे॥
लखी प्रेम की महिमा भारी।
ऐसे श्याम दीन हितकारी॥
भारत के पारथ रथ हांके।
लिये चक्र कर नहिं बल थाके॥
निज गीता के ज्ञान सुनाए।
भक्तन हृदय सुधा वर्षाए॥
मीरा थी ऐसी मतवाली।
विष पी गई बजाकर ताली॥
राना भेजा सांप पिटारी।
शालीग्राम बने बनवारी॥
निज माया तुम विधिहिं दिखायो।
उर ते संशय सकल मिटायो॥
तब शत निन्दा करि तत्काला।
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥

Krishna Chalisa with lyrics
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।
दीनानाथ लाज अब जाई॥
तुरतहि वसन बने नंदलाला।
बढ़े चीर भै अरि मुंह काला॥
अस अनाथ के नाथ कन्हइया।
डूबत भंवर बचावइ नइया॥
‘सुन्दरदास’ आस उर धारी।
दया दृष्टि कीजै बनवारी॥
नाथ सकल मम कुमति निवारो।
क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै।
बोलो कृष्ण कन्हइया की जै॥

दोहा
यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल, लहै पदारथ चारि॥