नई दिल्लीः Karwa Chauth Moon Rise Time पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य का व्रत करवा चौथ 20 अक्टूबर यानि आज रखा जा रहा है। इस दिन मूलतः भगवान गणेश, मां गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्रमा को सामन्यतः आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। इसलिए चंद्रमा की विधिवत पूजा कर सुहागनें वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। आज सूर्योदय पूर्व में सुहागन महिलाओं ने सरगी खाकर निर्जला व्रत रखा है। पूरे दिन अन्न, फल, और जल का त्याग करके निराहार उपवास होगा। आज शाम में करवा चौथ की पूजा के लिए केवल सवा घंटे का शुभ मुहूर्त है।
Karwa Chauth Moon Rise Time पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को सुबह 06.46 बजे से शुरू होगी और 21 अक्टूबर को सुबह 04.16 बजे तक रहेगी। ऐसे में करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर दिन रविवार को रखा जाएगा। करवा चौथ पर पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 46 मिनट से शाम 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।
करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय शाम 07 बजकर 53 मिनट बताया जा रहा है। दिल्ली में चंद्रोदय रात 8 बजकर 15 मिनट पर हो सकता है, जिसके बाद महिलाएं चंद्रमां को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोल सकती हैं।
करवा माता, गणेश जी, भगवान शिव और कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर, मिट्टी का करवा, एक ढक्कन, एक थाली, माता के लिए चुनरी, गणेश जी, शिव जी और कार्तिकेय जी के लिए नए वस्त्र, करवा चौथ व्रत कथा और आरती की एक पुस्तक, चांद देखने के लिए एक छलनी, लकड़ी की चौकी, सोलह श्रृंगार की समाग्री, एक कलश, दीपक, रूई की बाती, अक्षत्, हल्दी, चंदन, फूल, पान का पत्ता, कच्चा दूध, दही, कपूर, अगरबत्ती, गेहूं, लहुआ, 8 पूड़ियों की अठावरी, मौली या रक्षासूत्र, मिठाई, एक लोटा या गिलास, दक्षिणा, शक्कर का बूरा, शहद, गाय का घी, रोली, कुमकुम आदि।
1. करवा चौथ की पूजा से पूर्व व्रती को 16 श्रृंगार करके तैयार होना चाहिए। फिर पीली मिट्टी से पूजा स्थान पर करवा माता यानी गौरी, गणेश, शिवजी, कार्तिकेय जी की मूर्ति बनाएं। एक चंद्रमा भी बनाएं। उनको लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें।
2. सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। उसके बाद माता पार्वती, शिव जी और कार्तिकेय जी की पूजा करें। अक्षत्, हल्दी, दूर्वा, सिंदूर, मोदक, धूप, दीप, फूल, नैवेद्य आदि गणेश जी को अर्पित करके पूजा करें।
3. इसके बात माता गौरी को लाल फूल, अक्षत्, सिंदूर, सोलह श्रृंगार सामग्री, लाल चुनरी, धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं। उनका पूड़ियों की अठावरी, करवा आदि से भी पूजन करें।
4. अब आप शिव जी को अक्षत्, बेलपत्र, चंदन, धूप, दीप, फूल, फल, शहद आदि अर्पित करें। भगवान कार्तिकेय की भी पूजा अक्षत्, फूल, फल, धूप, दीप, नैवेद्य से करें। उसके बाद
करवा चौथ व्रत कथा सुनें। गणेश जी, माता पार्वती समेत शिव परिवार की आरती करें।
5. पूजा के बाद अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन, पति की लंबी आयु के लिए माता पार्वती और शिव जी से प्रार्थना करें। फिर सासु मां के पैर छूकर आशीर्वाद लें। प्रसाद और सुहाग सामग्री उनको भेंट करें।
शाम को चांद निकलने पर चंद्रमा की पूजा करें। छलनी से चांद को देखते हुए अर्घ्य दें। अर्घ्य के लिए एक लोटे में सफेद फूल, कच्चा दूध, अक्षत्, चीनी, सफेद चंदन आदि डालकर अर्घ्य दें। इस दौरान मंत्र भी पढ़ें। फिर पति के हाथ से जल ग्रहण करके और कुछ मिठा खाकर पारण करें।
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