Kaal Bhairav Jayanti 2023 Kab Hai

Kaal Bhairav Jayanti 2023: काल भैरव जयंती कब..? यहां जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Kaal Bhairav Jayanti 2023: काल भैरव जयंती कब? यहां जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व kalashtami 2023, Kaal Bhairav puja vidhi

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Modified Date: December 1, 2023 / 01:01 PM IST
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Published Date: December 1, 2023 1:01 pm IST

Kaal Bhairav Jayanti 2023 Kab Hai: मार्गशीर्ष मास के  कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी। इसे कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता रहै। इस बार 5 दिसंबर को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी। इस दिन शिव के रौद्र रूप काल भारव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कालाष्टमी या काल भैरव जयंती पर काल भैरव की पूजा करने से जीवन के सभी संकट, काल, दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं साल 2023 में काल भैरव जयंती की डेट, मुहूर्त और महत्व….

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कालाष्टमी शुभ मुहूर्त

इस बार 5 दिसंबर को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। वहीं, जो लोग काल भैरव का पूजन रात्रि में करते हैं तो उनके लिए पूजा का शुभ मुहूर्त 5 दिसंबर को रात 11 बजकर 44 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।

काल भैरव की जयंती का महत्व

काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है, इनकी पूजा के बिना भगवान विश्वनाथ की आराधना अधूरी मानी जाती है।  भगवान काल भैरव भगवान शिव की भयावह अभिव्यक्ति हैं। कहा जाता है, कि अनिष्ट करने वालों को काल भैरव का प्रकोप झेलना पड़ता। लेकिन, जिस पर वह प्रसन्न हो जाए उसके कभी नकारात्मक शक्तियों, ऊपरी बाधा और भूत-प्रेत जैसी समस्याएं परेशान नहीं करती। इनकी कृपा से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता, शत्रु और बुरी शक्तियों का नाश होता है, इसलिए हर महीने कालाष्टमी पर भैरव बाबा की उपासना की जाती है।

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कालाष्टमी पूजा विधि

  • कालाष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि कर लें और फिर साफ वस्त्र धारण करें।
  • काले रंग का वस्त्र इस दिन पहनना शुभ माना जाता है।
  • काल भैरव का मन में ध्यान करते हुए गंगाजल लेकर व्रत करने का संकल्प लें।
  • काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर के सामने धूप, दीपक, अगरबत्ती जलाएं।
  • दही, बेलपत्र, पंचामृत, धतूरा, पुष्प आदि आर्पित करें।
  • अब काल भैरव के मंत्रों का जाप करें। फिर अंत में आरती कर आशीर्वाद लें।
  • फिर शाम की पूजा, आरती करने के बाद ही फलाहार ग्रहण करें।
  • अगले दिन व्रत का पारण कर जरूरतमंदों को दान दक्षिणा दें।

(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है। IBC24 किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें।)

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