Khallari Mata Mandir Mahasamund: महासमुंद। चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है.. इसी श्रद्धा भावना के साथ IBC 24 की टीम अपने श्रद्धालु दर्शकों को माता खल्लारी के दर्शन कराने एवं महाभारत काल के लोककथाओं के प्रमाण से रूबरू कराने के लिए पहाड़ के ऊपर खल्लारी माता जी के मंदिर पहुंची है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन नगरी खल्लारी का इतिहास द्वापरयुग से लेकर वर्तमान काल तक मिलता है। द्वापरयुग में महाभारत काल के दौरान अज्ञातवास के समय महाबली भीम का विवाह इसी पहाड़ी पर हिडिंबा नामक राक्षसी से हुआ था।
मान्यता है कि, माता खल्लारी के समक्ष ही भीम और हिडिंबा राक्षसी का गंधर्व विवाह हुआ था। भीम सेन के वनवास के समय के प्रमाण यहां लोककथाओं के अनुसार देखने को मिलते हैं। वर्तमान युग में खल्लारी के इतिहास का उल्लेख 15 वीं सदी से ज्ञात होता है। विक्रम संवत 147 का शिलालेख खल्लारी में प्राप्त हुआ था, जिसके अनुसार खल्लारी रायपुर का एक गढ़ था, जिसके अंतर्गत 84 गांव शासित थे । छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक प्रसिद्ध देवी मंदिरो में से एक माता खल्लारी के मंदिर में नवरात्रि का पर्व वैदिक रीति से पूजा-पाठ, अनुष्ठान के साथ संपन्न होता है।
बता दें कि इस वर्ष कुल 2300 ज्योति प्रज्वलित की गई है। छत्तीसगढ , उड़ीसा सहित अन्य प्रदेशो से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खल्लारी में रोपवे, अच्छी सीढ़ियां , 24 घंटे भंडारा भोजन, पानी, पूजन सामग्री की दुकानों के साथ पुलिस सुरक्षा की व्यवस्था रहती है। मनोकामना पूर्ण होने के लिए प्रसिद्ध खल्लारी माता के दरबार में श्रद्धालु “तेरे दर पर आया हूं , झोली भर के जाऊंगा” यह विश्वास लेर आते हैं और माता, भक्तों की मुरादें अवश्य पूरी करती है।
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