Here Shri Krishna performs Raslila with the Gopis

यहां गोपियों संग रासलीला करते हैं श्रीकृष्‍ण, शाम होते ही कोई नहीं देखता इस तरफ़

यहां गोपियों संग रासलीला करते हैं श्रीकृष्‍ण, शाम होते ही कोई नहीं देखता इस तरफ़ Here Shri Krishna performs Raslila with the Gopis

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 04:27 AM IST, Published Date : August 19, 2022/5:43 am IST

Shri Krishna performs Raslila : कहते हैं कि ब्रजभूमि का कोना-कोना भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का गवाह रहा है। यहां ऐसे अनेक स्‍थान हैं, जहां श्रीकृष्ण के जन्‍म से लेकर किशोरावस्‍था तक की घटनाओं की निशानियां मिलती हैं। श्रीकृष्ण सखा-स‍खियों के साथ रास रचाते थे। उनके हाथ में मुरली, सिर पर मोर पंख का मुकुट और आस-पास गाय-बछड़े होते थे। उन्‍होंने वृंदावन को जग में सबसे न्‍यारा बताया था, इसलिए वृंदावन के पग-पग में राधा-कृष्ण की गूंज सुनाई देती है।

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बता दें कि वृंदावन में ही एक वन है- निधिवन, जहां तुलसी-कदम्‍ब जैसे पेड़ हैं। यहीं झाड़ों के बीच एक छोटा-सा महल है- रंग महल, यही वो महल है, जिसके बारे में मान्‍यता है कि यहां आज भी कान्‍हा रात को रास रचाते हैं। मगर उन्‍हें कोई देख नहीं पाता। शाम ढलते ही निधिवन दर्शकों के लिए बंद कर दिया जाता है। उसके बाद यहां कोई नहीं रहता। विशेषकर, शरद पूर्णिमा की रात, निधिवन में प्रवेश पूरी तरह वर्जित रहता है।

कुछ लोग निधिवन में यही जानने आते हैं कि भला रात को क्‍या होता होगा। निधिवन में राधारानी का प्राचीन मंदिर है। इसके अलावा ‘रंग महल’ वो जगह है, जिसकी छत के नीचे श्रीकृष्ण के लिए सूर्यास्‍त के बाद भोग रखा जाता है, दातून रखी जाती है। लेकिन सुबह होने पर वहां कुछ नहीं मिलता, इसलिए भक्‍त कहते हैं कि कान्हा निशानियां भी छोड़ जाते हैं।

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यही वजह है कि रात्रि 8 बजे के बाद पशु-पक्षी, लोग, पुजारी सभी चले जाते हैं और परिसर के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार रात को जो भी यहाँ रुकेगा वह सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाएगा।

Shri Krishna performs Raslila : निधिवन में एक पागल बाबा की समाधि बनी हुई है, वो भी एक बार छुपकर रासलीला देखने की कोशिश कर रहे थे। जिससे वो पागल हो गए थे। वो भगवान श्रीकृष्ण के सच्चे भक्त थे, इसलिए मंदिर प्रशासन ने उनकी समाधि बनवा दी। निधि वन लगभग दो से ढाई एकड़ में फैला हुआ है। इसमें लगे वृक्षों की ख़ासियत है कि किसी भी पेड़ के ताने सीधे नहीं हैं। वृक्षों की डालियाँ नीचे की तरफ़ झुकी हुई हैं और सभी एक-दूसरे में गुथी हुई हैं। यहाँ लगे तुलसी के पेड़ भी जोड़े में हैं।

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