Gupt Navratri Vrat Katha : गुप्त नवरात्री का मतलब है गुप्त रूप से की गयी आराधना। जिससे शक्ति और तंत्र विद्या की सिद्धि होती है। माँ तारा देवी को तांत्रिकों की प्रमुख देवी भी माना जाता है। गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां तारा देवी का पूजन किया जाता है। तारा देवी की पूजा करने से मनुष्य को लौकिक सुख के साथ-साथ शांति और समृद्धि भी प्राप्त होती है। महर्षि वशिष्ठ ने सबसे पहले इनकी आराधना की थी। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में गई साधना जन्मकुंडली के समस्त दोषों को दूर करने वाली और धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष देने वाली होती।
इस वर्ष 30 जनवरी 2025, दिन गुरुवार से माघ मास की गुप्त नवरात्रि आरंभ हो गई है। जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माँ ध्रूमावती, माँ बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
Gupt Navratri Vrat Katha
काली, तारा महाविद्या, षोडशी भुवनेश्वरी ।
भैरवी, छिन्नमस्तिका च विद्या धूमावती तथा ॥
बगला सिद्धविद्या च मातंगी कमलात्मिका ।
एता दश-महाविद्याः सिद्ध-विद्याः प्रकीर्तिता: ॥
माना जाता है कि इन नवरात्रियों में की गई साधना शीघ्र फलदायी होती है। शत्रुओं का नाश करने वाली मां तारा सौंदर्य, रूप ऐश्वर्य की देवी मानी जाती हैं। साथ ही आर्थिक उन्नति, भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करने वाली भी हैं। मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा से मां तारा देवी की पूजा आराधना करता है तो माता भक्तों की पुकार सुनकर उनका उद्धार अवश्य करती हैं। माँ तारा की साधना करने से धन संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। और साथ ही दिव्य सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। शास्त्रों के अनुसार, लंकापति रावण ने भी मां तारा की उपासना की थी. साथ ही माता तारा देवी को लेकर यह भी कहा जाता है कि जिनका उद्धार भगवान शिव भी नहीं कर पाते, उन भक्तों का उद्धार भी माँ तारा देवी करती हैं
Gupt Navratri Vrat Katha : प्रस्तुत है माँ तारा देवी का शक्तिशाली मंत्र
माँ तारा देवी मंत्र
मान्यता है कि नील कांच की माला से 12 माला का जाप करने से मां तारा देवी प्रसन्न होती है और लोगों की मनोकामना पूरी करती हैं.
ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट्
Gupt Navratri Vrat Katha : आईये अब हम यहाँ पढ़तें हैं कथा
1. पहली कथा:
एक समय ऋषि श्रृंगी अपने भक्तों को दर्शन दे रहे थे। तभी अचानक से भीड़ से एक स्त्री निकलकर सामने आई। उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी से कहा कि मेरे पति हमेशा गलत कामों से घिरे रहते हैं, जिस वजह से मैं ना तो पूजा-पाठ कर पाती हूं और ना ही धर्म और भक्ति से जुड़ा कोई कार्य कर पाती हूं। तब ऋषि श्रृंगी ने उस स्त्री से कहा कि तुम गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना करो। ऋषि ने बताया कि गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
उक्त स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के बताए अनुसार गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा अर्चना की। मां दुर्गा की कृपा से उसके पति के सभी बुरे काम छूट गए और वह एक अच्छा इंसान बन गया।
Gupt Navratri Vrat Katha
2. दूसरी कथा :
एक अन्य कथा के अनुसार, एक समय की बात है, एक राजा के राज्य में भयंकर सूखा पड़ा। प्रजा भूख से व्याकुल थी। राजा ने अपने राज्य के सभी विद्वानों को बुलाया और उनसे इस समस्या का समाधान पूछा। विद्वानों ने राजा को बताया कि इस समस्या का समाधान गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से ही हो सकता है।
राजा ने विद्वानों के बताए अनुसार गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा अर्चना की। मां दुर्गा की कृपा से राज्य में वर्षा हुई और प्रजा सुखी हुई।
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