Famous Temples Of Madhya Pradesh

Famous Temples Of Madhya Pradesh : ये हैं मध्यप्रदेश के 5 प्रमुख तीर्थ स्थल, प्रतिदिन लगा रहता हैं भक्तों का तांता…

Famous Temples Of Madhya Pradesh : ये हैं मध्यप्रदेश के 5 प्रमुख तीर्थ स्थल, प्रतिदिन लगा रहता हैं भक्तों का तांता...

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Modified Date: December 26, 2024 / 11:11 AM IST
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Published Date: December 26, 2024 11:09 am IST

Famous Temples Of Madhya Pradesh : मध्य प्रदेश धार्मिक महत्व की दृष्टी से भारत का एक अहम राज्य हैं। यहां कई प्राचीन और विशाल मंदिर स्थित हैं जोकि पर्यटकों के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम नही हैं यहां घूमने के लिए एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक जगह मौजूद है। जहां सिर्फ देश ही नहीं विदेशों से भी लोग घूमने के लिए आते हैं। आज हम आपको मध्य प्रदेश की पांच ऐसी मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद खास है।

बाबा महाकाल मंदिर (उज्जैन)
देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन में स्थित बाबा महाकाल का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग मंदिर मध्य प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। चार धाम यात्रा में भी उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन करना सबसे ज्यादा जरूरी माना गया है। यहां सुबह पांच बजे होने वाली भस्मआरती पूरी दुनिया में प्रसिध्द हैं, जिसका लाइव टेलीकास्ट भी दिखाया जाता है। हाल ही में बाबा महाकाल मंदिर उज्जैन में ‘श्री महाकाल लोक’ का निर्माण किया गया है।’श्री महाकाल लोक” भक्तों के लिए खोल दिया गया है।

बाबा महाकाल कि महिमा की वजह से उज्जैन को बाबा महाकाल की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन, हर साल मंदिर के पास एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है और मंदिर पूरी रात खुला रहता है। इसके अलावा सावन के महीने में यहां बाबा महाकाल की शाही सवारियां भी निकाली जाती है, जो आर्कषण का बड़ा केंद्र होती हैं। उज्जैन आप सड़क, रेल और वायु तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं।

मैहर माता मंदिर (सतना)
सतना जिले में स्थित मैहर शारदा माता का मंदिर पुरे विश्व में में काफी प्रसिद्ध है। यह त्रिकूट पर्वत की ऊंची चोटी पर माता का मंदिर स्थित है। मैहर देवी मंदिर देवी पार्वती के 51 शक्तिपीठों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि जब शिव जी मृत सती के शरीर ले जा रहे थे तब उनका हार इस जगह पर गिर गया था और इसलिए नाम मैहर (मैहर = माई का हार ) पड़ गया।

मान्यता है कि आल्हा और ऊदल दो भाई थे जो चंदेल राजा परमाल के सेनापति थे। दोनों ही माता शारदा के अनन्य भक्त थे। आल्हा ने लगभग 12 वर्ष की तपस्या की जिससे उन्हें माता शारदा के दर्शन प्राप्त हुए और अमरत्व का वरदान मिला। कहा जाता है कि मंदिर का जब पट बंद हो जाता है पुजारी , भक्त सभी चले जाते है। उस वक्त मंदिर के भीतर आल्हा और ऊदल अदृश्य रूप में माता की पूजा करने के लिए आते हैं।सुबह जब मंदिर का पट खुलता है। उस वक्त मां की पूजा हो चुकी होती है। बता दें मंदिर में पहुंचने के लिए लगभग 1100 सीढ़ियां बनी हुई है,जिससे चढ़कर आप मैहर देवी के दर्शन करने जा सकते हैं, इसके अलावा मां शारदा के दर्शन के लिए रोपवे से भी जा सकते हैं।

ओंकारेश्वर मंदिर (खंडवा)
ओंकारेश्वर मंदिर खंडवा, मध्य प्रदेश में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है,यह स्थान नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और इसकी धार्मिक महत्वता के कारण यहाँ हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं। यह मान्यता है कि यहाँ भगवान शिव ने अपने भक्तों की भक्ति को स्वीकार किया था। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है, जो कि भारत के विभिन्न हिस्सों में फैले हुए हैं।

कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 7वीं से 8वीं शताब्दी के बीच हुआ था और इसे कई बार पुनर्निर्मित किया गया है। घूमने के लिए ओंकारेश्वर मंदिर का स्थान बहुत ही आकर्षक है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, नर्मदा नदी का दृश्य और मंदिर की अद्भुत वास्तुकला इसे एक बेहतरीन पर्यटन स्थल बनाते हैं।

राम राजा मंदिर(ओरछा)
ओरछा मध्य प्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक स्थान है। यह हमेशा से पर्यटकों के केंद्र में रहा है। यहां स्थित भगवान श्रीराम का मंदिर पूरे देश में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां वे भगवान के रूप में नहीं, बल्कि एक राजा के रूप में पूजे जाते हैं। इस मंदिर का इतिहास बहुत दिलचस्प है। इसे 16वीं शताब्दी में राजा वीर सिंह देव द्वारा बनवाया गया था।

कहा जाता है कि राजा ने भगवान राम को यहाँ की राजगद्दी पर बिठाया था, यहाँ भगवान राम की मूर्ति को राजा के रूप में पूजा जाता है, जो इसे अन्य राम मंदिरों से अलग बनाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो गया। जो यात्रियों के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।

सास बहू मंदिर, ग्वालियर
मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में इस सहस्रबाहु मंदिर जिसे लोग सास-बहू मंदिर के नाम से भी जानते हैं। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में कच्छपघाट वंश के राजा महिपाल ने करवाया था। इस मंदिर का नाम ‘सास बहू’ इसलिए पड़ा क्योंकि इसे सास और बहू के बीच के संबंधों का प्रतीक माना जाता है। सास बहू मंदिर की वास्तुकला अद्भुत है।

इसमें जटिल नक्काशी, भव्य स्तंभ, और सुंदर मूर्तियां हैं जो उस समय की कला और संस्कृति को दर्शाती हैं। ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित हैं और इनकी दीवारों पर विभिन्न धार्मिक कथाओं और देवी-देवताओं की चित्रण की गई है। ग्वालियर में घूमने के लिए यह स्थान बेहद आकर्षक है क्योंकि यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। यहाँ की शांति और प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को आकर्षित करती है।