Sawan Special 2024 : क्या सच में शिवजी के 2 नहीं बल्कि 7 पुत्र थे? यहां देखें सभी के नाम और उनसे जुड़ी कथा | mysterious sons of lord shiva

Sawan Special 2024 : क्या सच में शिवजी के 2 नहीं बल्कि 7 पुत्र थे? यहां देखें सभी के नाम और उनसे जुड़ी कथा

Sawan Special 2024 : क्या सच में शिवजी के 2 नहीं बल्कि 7 पुत्र थे? यहां देखें सभी के नाम और उनसे जुड़ी कथा | mysterious sons of lord shiva

Edited By :   Modified Date:  July 18, 2024 / 03:03 PM IST, Published Date : July 18, 2024/3:03 pm IST

Sawan Special 2024 : सनातन धर्म में सावन को सबसे पवित्र महीनों में से एक माना गया है। यह पूरा महीना भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है। इस पूरे माह के दौरान, सभी भक्त भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह अवधि शिव जी को अति प्रिय है, जिसके चलते वे पृथ्वीलोक पर अपने भक्तों के कल्याण के लिए आते हैं। इस साल सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई से होगी। सावन में शिवजी से जुड़ी कई कथाएं सुनी जाती है। तो वहीं आज एक अनोखी कथा के बारे में हम आपको बताएंगे।

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Sawan Special 2024 : हम सभी में से ज़्यादातर लोगों को भगवान शिव (Lord Shiva) के दो पुत्रों गणेश जी (Lord Ganesh) और भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikey) के बारे में पता है, लेकिन हिन्दू पुराणों में भगवान शिव के और 5 पुत्रों का उल्लेख मिलता है। भगवान गणेश को किसी भी शुभ कार्य के पहले पूजा की जाती है। माता पार्वती से विवाह के बाद भगवान शंकर का गृहस्थ जीवन शुरू हुआ था और उनके जीवन काल में अनेक प्रकार की घटनाओं से 7 पुत्रों का जन्म हुआ। जिसके बारे में आज के इस लेख में बताने जा रहें हैं। तो आइये जानते है कौन है भगवान शिव के सात पुत्र..

कार्तिकेय

शिवपुराण में एक प्रसंग के अनुसार माता सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव ने कठोर तपस्या शुरू कर दी। उस समय पृथ्वी पर राक्षस तारकासुर का अत्याचार बढ़ने लगा था तारकासुर के अत्याचारों से परेशान देवता ब्रह्मा जी के पास गए और तारकासुर से मुक्ति के बारे में पूछा। ब्रह्मा जी ने देवताओं को बताया कि भगवान शिव और माता पार्वती का पुत्र, तारकासुर का अंत करेगा। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ और प्रथम पुत्र के रूप में भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ और राक्षस तारकासुर का अंत हुआ।

गणेश

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार माता पार्वती स्नान करने जाने वाली थी, लेकिन द्वार पर पहरा देने के लिए कोई नहीं था तो उन्होंने चन्दन के मिश्रण से बालक की उत्पत्ति की और द्वार पर पहरा देने के लिए कहा, इसी बीच जब भगवान शंकर वहां आये तो बालक ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। क्रोधित होकर शिव जी ने बालक का मस्तक धड़ से अलग कर दिया। ये बात जब माता पार्वती को पता लगी तो वे क्रोधित हो गई और उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शंकर ने एक हाथी का सिर बालक के धड़ पर जोड़ दिया इस प्रकार भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई।

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सुकेश

भगवान शिव और माता पार्वती के तीसरे पुत्र हैं सुकेश। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि राक्षस राज हैती का विवाह भया नामक युवती से हुआ। इन दोनों से विद्युतकेश नाम का पुत्र प्राप्त हुआ। विद्युतकेश ने संध्या की पुत्री संदकंटका से विवाह किया लेकिन संदकंटका बुरी स्त्री थी। इसी वजह से जब उनके पुत्र का जन्म हुआ तो उन्होंने उसे संसार में बेघर छोड़ दिया। भगवान शिव और माता पार्वती ने बलाक की रक्षा की और उन्हें अपना पुत्र बनाया।

अयप्पा

भगवान अयप्पा को शिव के चौथे पुत्र के रूप में जाना जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को देखकर शिव मोहित हो गए। मोहिनी और शिव के मिलन से भगवान अयप्पा का जन्म हुआ।

जालंधर

भागवत पुराण के अनुसार भगवान शिव ने एक बार अपना तीसरा नेत्र समुद्र में फेंक दिया और उससे जालंधर की उत्पत्ति हुई। जालंधर भगवान शिव से नफरत करता था। एक बार जालंधर ने माता पार्वती को अपनी पत्नी बनाने के लिए भगवान शंकर से युद्ध शुरू किया, लेकिन इस युद्ध में जालंधर मारा गया।

भौमा

पुराणों में उल्लेख मिलता है कि एक बार भगवान शिव का पसीना जमीन पर गिरा और इसी पसीने से पृथ्वी को एक पुत्र प्राप्त हुआ। इस पुत्र की चार भुजाएं थी और यह रक्त के रंग का था। पृथ्वी ने इस पुत्र का पालन पोषण किया पृथ्वी के पुत्र होने के कारण वे भौमा कहलाये।

अंधक

पुराणों में भगवान शिव के सातवें पुत्र के बारे में उल्लेख मिलता है कि एक बार माता पार्वती ने पीछे से आकर भगवान शिव की आंखें बंद कर ली इससे पूरी दुनिया में अंधेरा छा गया, फिर भगवान शिव ने अन्धकार दूर करने के लिए अपनी तीसरी आंख खोली, तीसरे नेत्र के प्रकाश से माता पार्वती को पसीना आ गया और उनके पसीने की बूंदों से एक पुत्र का जन्म हुआ। यह पुत्र अंधेरे में पैदा हुआ था इसलिए इसका नाम अंधक पड़ा। यह बालक जन्म से अंधा था।

 

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