Dev Diwali 2024 Puja Vidhi : हिंदू धर्म में तीज-त्योहारों को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। जिनका अपना-अलग ही महत्व होता है। दिवाली और देव दीपावली दोनों ही भारत में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहार हैं। कुछ ही दिनों में पांच दिवसीय रोशनी का त्योहार शुरू होने वाला है। हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली का त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। वहीं हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन देव दिवाली भी मनाई जाती है। मान्यता है कि, हर साल कार्तिक पूर्णिका के दिन ही देव दिवाली मनाते है। इस साल यह 15 नवंबर को मनाई जाएगी।
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क्यों मनाई जाती है देव दिवाली
बता दें कि, कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता दिवाली मनाते हैं इसलिए इस विशेष दिवाली को देव दीपावली कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था, जिसके बाद सभी देवताओं ने स्वर्ग में दीपक जलाए थे। ऐसा माना जाता है कि त्रिपुरासुर के वध के बाद सभी देवताओं ने स्वर्ग में दिवाली मनाई थी। तभी से इस दिन देव दिवाली मनाने की शुरुआत हुई।माना जाता है कि कार्तिक मास पूर्णिमा तिथि के दिन काशी में गंगा स्नान कर दीप दान करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है।
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देव दीपावली के दिन मंदिर, घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीया जरूर जलाना चाहिए। इस दिन देवी-देवताओं और इष्ट देव के नाम का भी दीया जलाएं। देव दीपावली के दिन 11, 21, 51 या 108 दीया जलाएं। आप चाहे तो इससे ज्यादा दीया भी जला सकते हैं। बता दें कि देव दीपावली के दिन भगवान शिव, विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है।
Dev Diwali 2024 Puja Vidhi: पूजा का शुभ मुहूर्त
देव दीपावली पूजा का समय 15 नवंबर 2024 की शाम 05:10 से शाम 07:47 बजे तक रहेगा। पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 15 नवंबर 2024 की सुबह 06:19 बजे से होगा और इसकी समाप्ति देर रात 02:58 पर होगी।
देव दिवाली की पूजा विधि
देव दिवाली के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर गंगा नदी में स्नान जरूर करें और यदि नदी स्नान कर पाना संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।इसके बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करें और फिर भगवान शिव समेत सभी देवी देवताओं की विधि विधान पूजा करें।इसके बाद नदी के तट पर और मंदिर में दीप जरूर जलाएं।इस दिन शाम के समय भगवान शिव और भगवान विष्णु की आराधना जरूर करें और महादेव को फल, फूल और दूध जरूर चढ़ाएं।इसके बाद भगवान को भोग लगाकर आरती करें।इस दिन गंगा नदी में दीप दान का विशेष महत्व माना जाता है।