Chhath Puja 2024 Chhath Puja 2024 Niyam Chhath Puja Kab hai

Chhath Puja 2024: नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ छठ का महापर्व, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ छठ का महापर्व, Chhath Puja 2024 Chhath Puja 2024 Niyam Chhath Puja Kab hai

Edited By :   Modified Date:  November 5, 2024 / 06:55 AM IST, Published Date : November 5, 2024/6:50 am IST

Chhath Puja 2024 date: चार दिन तक चलने वाले छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ आज से हो गया है। आज व्रती महिलाएं तालाब और नदी में स्नान करके घिया की सब्जी और भात खाकर व्रत का संकल्प लिया। इस वर्ष यह महापर्व 7 नवंबर तक मनाया जाएगा। छठ पर्व से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। हालांकि बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ महापर्व प्रमुखता के साथ मनाया जाता है। इस महापर्व में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का विधान है। छठ का व्रत महिलाएं संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं।

Read More : छठ पर्व के दिन चमकेगी इन राशियों की किस्मत, नौकरी में मिलेगी तरक्की बिजनेस में होगा लाभ

क्यों मनाया जाता है छठ पर्व?

शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में सूर्य अपनी नीच राशि में होता है, इसलिए सूर्यदेव की विशेष उपासना की जाती है। ताकि स्वास्थ्य की समस्याएं परेशान ना करें। षष्ठी तिथि का सम्बन्ध संतान की आयु से होता है, इसलिए सूर्य देव और षष्ठी की पूजा से संतान प्राप्ति और उसकी आयु रक्षा दोनों हो जाती है। नहाए-खाए छठ महापर्व के पहले दिन की विधि होती है, जिसमें व्रती अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए इस प्रक्रिया का पालन करते हैं। यह दिन मुख्यतः शुद्धता और सरल भोजन के लिए होता है।

नहाय-खाय में क्या करते हैं

इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले आस-पास के किसी तालाब और नदी में स्नान करती हैं फिर भात, चना दाल और कद्दू या लौकी का प्रसाद बनाकर उसे ग्रहण करती हैं। नहाय-खाय में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। प्रसाद तैयार करते समय स्वच्छता का खास ख्याल रखना होता है। आपको बता दें कि छठ महापर्व में केवल व्रती को नहीं, बल्कि पूरे परिवार को सात्विक भोजन करना होता है। इस दिन प्रसाद बनाने के लिए साफ चूल्हे का ही प्रयोग करें। आपको बता दें कि इस दिन महिलाएं एकबार ही भोजन करती हैं। फिर अगले दिन शाम को खरना किया जाता है।

Read More : Aaj ka Rashifal: इन 3 राशिवालों की आज बढ़ेगी परेशानी, कन्या और सिंह वालों को होगा धनलाभ, जानिए कैसा रहेगा आपका दिन 

दूसरे दिन खरना

दूसरे दिन को “लोहंडा-खरना” कहा जाता है। इस दिन लोग उपवास रखकर शाम को खीर का सेवन करते हैं। खीर गन्ने के रस की बनी होती है। इसमें नमक या चीनी का प्रयोग नहीं होता है।

तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य

छठ पर्व में तीसरे दिन उपवास रखकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। साथ में विशेष प्रकार का पकवान “ठेकुवा” और मौसमी फल चढ़ाया जाता है। अर्घ्य दूध और जल से दिया जाता है।

Read More : CG Rajyotsava 2024: सीएम मोहन यादव ने तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ राज्योत्सव का किया शुभारंभ, कहा-छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश का प्रेम सगे भाईयों की तरह 

चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य

चौथे दिन बिल्कुल उगते हुए सूर्य को अंतिम अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद कच्चे दूध और प्रसाद को खाकर व्रत का समापन किया जाता है।

छठ महापर्व का महत्व

छठ पूजा एक प्राचीन हिंदू त्योहार है, जो सूर्य देव और छठी मैया (माता षष्ठी) को समर्पित है, जिन्हें सूर्य की बहन माना जाता है। छठ पूजा चार दिन तक चलती है और यह सबसे महत्वपूर्ण तथा कठोर त्योहारों में से एक है। छठ पूजा के दौरान सूर्य को जीवन के स्रोत के रूप में पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि सूर्य की ऊर्जा बीमारियों को ठीक करने, समृद्धि सुनिश्चित करने और कल्याण प्रदान करने में मदद करती है। भक्त स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशी के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए सूर्य और छठी मैया की पूजा करते हैं।

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए हमारे फेसबुक फेज को भी फॉलो करें

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

Follow the IBC24 News channel on WhatsApp