नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चारधाम प्रोजेक्ट के ऑल वेदर रोड के चौड़ीकरण को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने चार धाम रोड प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। इस प्रोजेक्ट से गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ को सभी मौसम में कनेक्टिवटी प्रदान करने वाली सड़कों से जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही ये प्रोजेक्ट चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए भारत की सुरक्षा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।
पढ़ें- देश में कोरोना के 7,974 नए केस.. एक्टिव मरीजों की संख्या घटकर 87,245 हुई
रक्षा मंत्रालय ने देश की सुरक्षा का हवाला देते हुए और इन रास्तों के जरिए चीन की सीमा तक ब्रह्मोस मिसाइलों को ले जाने के लिए चार धाम यात्रा मार्ग की सड़कों की चौड़ाई की सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश की सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए चार धाम प्रोजेक्ट की सड़कों की चौड़ाई 10 मीटर करने की मंजूरी भी दे दी है।
पढ़ें- डोमिनिकन गणराज्य में विमान दुर्घटनाग्रस्त, संगीतकार हर्नांडेज़ सहित 9 लोगों की मौत
क्या है चारधाम प्रोजेक्ट?
– उत्तराखंड के चार प्रमुख धाम यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ को सड़क मार्ग से जोड़ने को ही चारधाम प्रोजेक्ट कहा जाता है. इसकी शुरुआत 2016 में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने की थी. इस प्रोजेक्ट से पूरे उत्तराखंड में सड़कों का जाल बिछ जाएगा.
– करीब 900 किलोमीटर की इस सड़क पर 16 बायपास, 101 छोटे पुल, 3516 पुलिया और 15 फ्लाई ओवर बनाए जा रहे हैं. इस पूरे प्रोजेक्ट पर 12 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
पढ़ें- बीजेपी के 2 पूर्व मंत्री और पूर्व विधायकों का मौन धरना, एक ही मकान के पते पर बने थे 250 वोटर कार्ड
क्या है चार धाम रोड प्रोजेक्ट?
चार धाम रोड प्रोजेक्ट का उद्देश्य उत्तराखंड स्थित हिंदुओं के चार धार्मिक स्थलों गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ के लिए सभी मौसमों के लिए कनेक्टिविटी प्रदान करना है। 12 हजार करोड़ की लागत से 900 किमी लंबे चार धाम प्रोजेक्ट का निर्माण किया जाना है। इस प्रोजेक्ट के जरिए ऋषिकेश से गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ को जोड़ने के लिए तीन नेशनल हाइवे बनाए जाने हैं। इन चारों स्थलों के लिए ऑल-वेदर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए, जिन हाइवे का निर्माण किया जाना है उनमें-ऋषिकेश से माना, ऋषिकेश से गंगोत्री और टनकपुर से पिथौरागढ़ तक तीन हाइवे का निर्माण शामिल है।
पढ़ें- पाकिस्तान पर विजय के 50 साल, शहीदों को प्रधानमंत्री मोदी का नमन
देश की सुरक्षा के लिहाज से ये प्रोजेक्ट क्यों जरूरी है?
चार धाम रोड प्रोजेक्ट में चौड़े रोड बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के सामने तर्क दिया था कि पूरे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के आसपास चीन की गतिविधि बढ़ने की चिंता के बीच ब्रह्मोस मिसाइलों और अन्य मिलिट्री संसाधनों को चीन की सीमा तक ले जाने के लिए चार धाम प्रोजेक्ट में चौड़ी सड़कों का निर्माण किया जाना जरूरी है।
रक्षा मंत्रालय ने शीर्ष अदालत से ये भी कहा था कि अगर युद्ध छिड़ता है और सेना अपने मिसाइल लॉन्चर्स और हैवी मशीनरी को उत्तरी भारत-चीन सीमा तक नहीं ले जा पाती है, तो हम देश की सुरक्षा कैसे करेंगे।
सरकार ने ब्रह्मोस को चार धाम प्रोजेक्ट की चौड़ी सड़कों से क्यों जोड़ा?
पढ़ें- लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल होगी, मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट में चार धाम प्रोजेक्ट की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था, ”ये दुर्गम इलाके हैं, जहां सेना को भारी वाहनों, मशीनरी, हथियार, मिसाइल, टैंक, टुकड़ियां और खाद्य सप्लाई ले जानी होती है। साथ ही हमारी ब्रह्मोस मिसाइल 42 फीट लंबी है और इसे ले जाने के लिए लंबे वाहनों की जरूरत पड़ती है।”
अटॉर्नी जनरल ने आगे कहा था, “आर्मी को ब्रह्मोस को ले जाना होता है… एक बड़े इलाके की जरूरत होगी। अगर इससे भूस्खलन होता है, तो आर्मी इससे निपट लेगी। अगर रोड ही पर्याप्त चौड़े नहीं होंगे तो हम जाएंगे कैसे?”
अटॉर्नी जनरल ने इस मामले में आगे तर्क दिया था, ”भगवान न करें कि अगर लड़ाई शुरू हो जाती है। ऐसे में अगर सेना के पास हथियार ही नहीं होंगे तो वह इससे कैसे निपटेगी। हमें सावधान और सतर्क रहना होगा। हमें तैयार रहना है।”
पढ़ें- टीवी एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे बनीं बिलासपुर की बहू.. शैलेष पांडे के साथ शहर के कई दिग्गज भी हुए शामिल