Reported By: Prakash Kumar
, Modified Date: August 31, 2024 / 02:31 PM IST, Published Date : August 31, 2024/10:17 am ISTकेशकाल: Bhangaram Devi Darbar तेलीन सती मांई मंदिर के समीप व टाटामारी पर्यटन मार्ग में स्थित भंगाराम देवी दरबार पर आज देवी देवता का मेला लगेगा। आदिम संस्कृति में कई ऐसी है व्यवस्थाएं हैं, जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जिन देवी देवताओं की पूरी आस्था के साथ पूजा अर्चना की जाती है उन्हीं देवी देवताओं को भक्तों की शिकायत के आधार पर सजा भी मिलती है।
Bhangaram Devi Darbar बताया जाता है कि यहां पर देवी देवताओं से वर्ष भर में किए गए कार्यों का हिसाब किताब लेखा-जोखा होता है। इतना ही नहीं देवी देवताओं को उनके कर्मों के अनुसार सजा सुनाई भी जाती है। जिस तरह से शासकीय कर्मचारियों को निलंम्बन -बर्खास्तगी और गंभीर अक्षम्य अपराध पर सजा-ए-मौत की सजा सुनाई जाता है, ठीक उसी प्रकार से यंहा देवी देवताओं को भी दोष सिद्ध होने पर अपराध अनुकूल सजा का सामना करना पडता है। जो देवताओं के कार्य ठीक रहने पर उसे उच्च कोटी का दर्जा दिया जाता है।
मिली जानकारी के अनुसार टाटामारी पर्यटन मार्ग में स्थित भंगाराम देवी दरबार में हर साल भादो माह के कृष्णपक्ष के शनिवार के दिन भादो जातरा का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी आज 30 अगस्त को यह जात्रा शुरू हो चुका है। 10 मोड़ों के सर्पीलाकार कहे जाने वाली घाटी के ऊपर देवी देवताओं का मेला लगा है। जातरा के पहले 6 शनिवार को सेवा (विशेष पूजा) की जाती है और सातवें अंतिम शनिवार को जातरा का आयोजन होता है।
इस अंतिम शनिवार को जातरा के दिवस क्षेत्र के नौ परगना के देवी देवताओं के अलावा पुजारी, सिरहा, गुनिया, मांझी, गायता मुख्या भी बड़ी संख्या में शामिल होते है। यह मेला शनिवार के दिन ही लगता है, क्षेत्र के विभिन्न देवी देवताओं का भंगाराम मांई के दरबार में अपनी हाजरी देना अनिवार्य होता है। जात्रा के दिन भंगाराम मांई के दरबार पर महिलाओं का आना प्रतिबंधित होता है।
यहां सभी देवी देवताओं को फुल पान सुपारी मुर्गा बकरा बकरी देकर प्रसन्न किया जाता है। वहीं भंगाराम मांई की मान्यता मिले बिना किसी भी नए देव की पूजा का प्रावधान नहीं है। यहां पर महाराष्ट्र के डॉक्टर पठान देवता भी हैं, जिन्हें डॉक्टर खान देवता कहा जाता है। उन्हे भी प्रसन्न करने के लिए अण्डे दिये जाते हैं। देवी देवताओं के मेला में क्षेत्र व दूरदराज के लोग भी काफी संख्या में उपस्थित होते हैं।
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