Bhairav Chalisa : अकाल मृत्यु होने से भी बचा लेता है भैरव चालीसा का ये शक्तिशाली पाठ, आश्चर्यजनक रूप से बचाता है आने वाली हर मुश्किल से | Bhairav Chalisa

Bhairav Chalisa : अकाल मृत्यु होने से भी बचा लेता है भैरव चालीसा का ये शक्तिशाली पाठ, आश्चर्यजनक रूप से बचाता है आने वाली हर मुश्किल से

Edited By :   Modified Date:  August 7, 2024 / 03:50 PM IST, Published Date : August 7, 2024/3:50 pm IST

Bhairav Chalisa : भैरव चालीसा को एक शक्तिशाली आध्यात्मिक अभ्यास माना जाता है जो भगवान भैरव की दिव्य कृपा और आशीर्वाद का आह्वान करके, भक्तों के जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह से सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। भैंरव बाबा शिवजी के अवतार हैं जो भी व्यक्ति भैंरव बाबा की नित्य आरती और चालीसा पढ़ता है। उसके घर में नकारत्मक शक्तियों का आगमन नहीं होता है और शारारिक बाधा भी कभी नहीं आती है। इसी के साथ बाबा भैंरवनाथ को प्रसन्न करने से वे अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करते हैं।

Read more : Siddh Kunjika Stotram : अत्यन्त चमत्कारी है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, यदि हो समय का अभाव तो आवश्य पढ़ें सिद्ध कुंजिका स्तोत्र और पाएं पूरी दुर्गा सप्तशती पाठ का फल

 

Bhairav Chalisa : आईये तो अब पढ़ते हैं भैरव चालीसा

दोहा
श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ।
चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥
श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥

Bhairav Chalisa

जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी- कुतवाला॥
जयति बटुक- भैरव भय हारी। जयति काल- भैरव बलकारी॥
जयति नाथ- भैरव विख्याता। जयति सर्व- भैरव सुखदाता॥
भैरव रूप कियो शिव धारण। भव के भार उतारण कारण॥
भैरव रव सुनि हवै भय दूरी। सब विधि होय कामना पूरी॥
शेष महेश आदि गुण गायो। काशी- कोतवाल कहलायो॥
जटा जूट शिर चंद्र विराजत। बाला मुकुट बिजायठ साजत॥
कटि करधनी घुंघरू बाजत। दर्शन करत सकल भय भाजत॥
जीवन दान दास को दीन्ह्यो। कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥
वसि रसना बनि सारद- काली। दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा। कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत। अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥
रूप विशाल कठिन दुख मोचन। क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत। बम बम बम शिव बम बम बोलत॥
रुद्रकाय काली के लाला। महा कालहू के हो काला॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा। श्‍वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥
करत नीनहूं रूप प्रकाशा। भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा॥
रत्‍न जड़ित कंचन सिंहासन। व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन॥
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं। विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय। वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥
महा भीम भीषण शरीर जय। रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय॥
अश्‍वनाथ जय प्रेतनाथ जय। स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय॥
निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥
त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय। क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय। कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर। चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत। चौंसठ योगिन संग नचावत॥
करत कृपा जन पर बहु ढंगा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥
देयं काल भैरव जब सोटा। नसै पाप मोटा से मोटा॥
जनकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा॥
श्री भैरव भूतों के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥
ऐलादी के दुख निवारयो। सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥
सुन्दर दास सहित अनुरागा। श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो। सकल कामना पूरण देख्यो॥

दोहा
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार।
कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार॥