Bhairav Aarti : आज काल भैरव जयंती के शुभ दिन शाम के समय पूजा के पश्चात्, भैरव बाबा जी को प्रसन्न करने के लिए ज़रूर करें बाबा की पसंदीदा आरती | Bhairav Aarti

Bhairav Aarti : आज काल भैरव जयंती के शुभ दिन शाम के समय पूजा के पश्चात्, भैरव बाबा जी को प्रसन्न करने के लिए ज़रूर करें बाबा की पसंदीदा आरती

Today, on the auspicious day of Kaal Bhairav ​​Jayanti, after the evening puja, do Bhairav ​​Baba's favourite Aarti

Edited By :   Modified Date:  November 22, 2024 / 02:37 PM IST, Published Date : November 22, 2024/2:20 pm IST

Bhairav Aarti : भगवान काल भैरव को रक्षक और संरक्षक माना जाता है। उनका नाम, जो “काल” और “भैरव” शब्दों को जोड़ता है, समय के स्वामी और अज्ञानता और भय को दूर करने वाले का प्रतिनिधित्व करता है। वह नकारात्मक ऊर्जा, बुरी आत्माओं और काले जादू को खत्म करने वाले हैं और भक्तों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह राहु, केतु और शनि दोषों के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है। इसका जाप करने से व्यक्ति अपने जीवन में दीर्घकालिक मुद्दों और दुखों से मुक्ति पा सकता है।

Bhairav Aarti : आईये यहाँ प्रस्तुत हैं श्री भैरव बाबा जी की आरती

॥ श्री भैरव आरती ॥

सुनो जी भैरव लाड़िले,कर जोड़ कर विनती करूँ।
कृपा तुम्हारी चाहिए,मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ।

मैं चरण छुता आपके,अर्जी मेरी सुन लीजिये॥
मैं हूँ मति का मन्द मेरी, कुछ मदद तो कीजिये।
महिमा तुम्हारी बहुत कुछ, थोड़ी सी मैं वर्णन करूँ॥
सुनो जी भैरव लाड़िले,कर जोड़ कर विनती करूँ।
कृपा तुम्हारी चाहिए,मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ।

Bhairav Aarti

करते सवारी स्वान की,चारों दिशा में राज्य है।
जितने भूत और प्रेत,सबके आप ही सरताज हैं॥
हथियार हैं जो आपके, उसका क्या वर्णन करूँ।
सुनो जी भैरव लाड़िले,कर जोड़ कर विनती करूँ।
कृपा तुम्हारी चाहिए,मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ।

Bhairav Aarti

माता जी के सामने तुम,नृत्य भी करते सदा॥
गा गा के गुण अनुवाद से,उनको रिझाते हो सदा।
एक सांकली है आपकी,तारीफ उसकी क्या करूँ॥
सुनो जी भैरव लाड़िले,कर जोड़ कर विनती करूँ।
कृपा तुम्हारी चाहिए,मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ।

Bhairav Aarti

बहुत सी महिमा तुम्हारी, मेंहदीपुर सरनाम है।
आते जगत के यात्री,बजरंग का स्थान है॥
श्री प्रेतराज सरकार के,मैं शीश चरणों में धरूँ।
सुनो जी भैरव लाड़िले,कर जोड़ कर विनती करूँ।
कृपा तुम्हारी चाहिए,मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ।

Bhairav Aarti

निशदिन तुम्हारे खेल से, माताजी खुश रहें॥
सिर पर तुम्हारे हाथ रख कर, आशीर्वाद देती रहें।
कर जोड़ कर विनती करूँ,अरु शीश चरणों में धरूँ॥
सुनो जी भैरव लाड़िले,कर जोड़ कर विनती करूँ।
कृपा तुम्हारी चाहिए,मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ।

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