Bhagwan Shri Satyanarayan ki Aarti : सुखमय जीवन पाने के लिए करें श्री सत्यनारायण की आरती, भगवान विष्णु का मिलेगा विशेष आशीष, मन में पैदा होने वाले सभी विकार एवं भय होंगे ख़त्म | Bhagwan Shri Satyanarayan ki Aarti

Bhagwan Shri Satyanarayan ki Aarti : सुखमय जीवन पाने के लिए करें श्री सत्यनारायण की आरती, भगवान विष्णु का मिलेगा विशेष आशीष, मन में पैदा होने वाले सभी विकार एवं भय होंगे ख़त्म

To have a happy life, do the Aarti of Shri Satyanarayan, you will get special blessings of Lord Vishnu, all the disorders and fears arising in the mind will end

Edited By :   Modified Date:  September 17, 2024 / 05:46 PM IST, Published Date : September 17, 2024/5:46 pm IST

Bhagwan Shri Satyanarayan ki Aarti : सत्य को नारायण (विष्णु जी) के रूप में पूजना ही सत्यनारायण भगवान की पूजा है। इसका दूसरा अर्थ यह है कि संसार में एकमात्र भगवान नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है। विष्णु को सत्यनारायण इसलिए कहा जाता है क्योंकि जो कुछ भी घटनाक्रम चल रहा है वह सत्य है और विष्णु भी इसीलिए सत्यनारायण कहलाते हैं ।

Bhagwan Shri Satyanarayan ki Aarti : आईये यहां पढ़ें श्री सत्यनारायण की आरती 

जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी,
जन पातक हरणा ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

रत्‍‌न जडि़त सिंहासन,
अद्भुत छवि राजै ।
नारद करत निराजन,
घण्टा ध्वनि बाजै ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

Bhagwan Shri Satyanarayan ki Aarti

प्रकट भये कलि कारण,
द्विज को दर्श दियो ।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर,
कंचन महल कियो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

दुर्बल भील कठारो,
जिन पर कृपा करी ।
चन्द्रचूड़ एक राजा,
तिनकी विपत्ति हरी ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

Bhagwan Shri Satyanarayan ki Aarti

वैश्य मनोरथ पायो,
श्रद्धा तज दीन्ही ।
सो फल भोग्यो प्रभुजी,
फिर-स्तुति कीन्हीं ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

भाव भक्ति के कारण,
छिन-छिन रूप धरयो ।
श्रद्धा धारण कीन्हीं,
तिनको काज सरयो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

Bhagwan Shri Satyanarayan ki Aarti

ग्वाल-बाल संग राजा,
वन में भक्ति करी ।
मनवांछित फल दीन्हों,
दीनदयाल हरी ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

चढ़त प्रसाद सवायो,
कदली फल, मेवा ।
धूप दीप तुलसी से,
राजी सत्यदेवा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

Bhagwan Shri Satyanarayan ki Aarti

श्री सत्यनारायण जी की आरती,
जो कोई नर गावै ।
ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति,
सहज रूप पावे ॥

जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी,
जन पातक हरणा ॥

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