Significance and method of worship of Chhath Puja

छठ पूजा करने से पहले जान लें ये बात, नहीं तो होगा भारी नुकसान…

छठ पूजा करने से पहले जान ले ये बात, नहीं तो होगा भारी नुकसान : Before doing Chhath Puja, know this thing, otherwise there will be huge loss...

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:04 PM IST, Published Date : October 30, 2022/8:25 am IST

नई दिल्ली । चार दिन तक चलने वाले छठ लोकपर्व की शुरुआत 28 अक्टूबर से हो गई है। इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। छठ पर्व के दौरान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। छठ पर्व के दौरान विशेष प्रसाद भी तैयार किया जाता है। आज यानी 30 अक्टूबर को शाम के समय अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ महापर्व के चौथे और आखिरी दिन यानी 31 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला व्रत का संकल्प पूरा होगा। यह महापर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है, लेकिन धीरे-धीरे इसका विस्तार पूरे देश में हो रहा है।

 

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छठ पूजा विधि : छठ पर्व के दिन प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है। संकल्प लेते समय इस मन्त्र का उच्चारण किया जाता है। ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्य षष्ठी व्रत करिष्ये। पूरे दिन निराहार और निर्जला व्रत रखा जाता है। फिर शाम के समय नदी या तालाब में जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है।

 

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अर्घ्य देने के लिए बांस की तीन बड़ी टोकरी या बांस या पीतल के तीन सूप लें। इनमें चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी रखें। साथ में थाली, दूध और गिलास ले लें। फलों में नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई और चंदन रखें। इसमें ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल से बने लड्डू भी रखें। सभी सामग्रियां टोकरी में सजा लें। सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में एक दीपक भी जला लें। इसके बाद नदी में उतर कर सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें।

ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते॥

छठ पूजा का महत्व: इस पर्व में सूर्य देव की पूजा की जाती है उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य देव के साथ-साथ छठी मैया की भी पूजा होती है। मान्यता है कि छठी मैया संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं। पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए ये पर्व मनाया जाता है।