रायपुर: basant panchami 2023 kab hai बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा माना जाता है। यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है। इस अवसर पर प्रकृति के सौंदर्य में अनुपम छटा का दर्शन होता है। पेड़ों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और बसंत में उनमें नयी कोपलें आने लगती हैं। माघ महीने की शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी होती है तथा इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। बसन्त पंचमी के दिन भगवान श्रीविष्णु, श्री कृ्ष्ण-राधा व शिक्षा की देवी माता सरस्वती की पूजा पीले फूल, गुलाल, अर्ध्य, धूप, दीप, आदि द्वारा की जा जाती है।
basant panchami 2023 kab hai पूजा में पीले व मीठे चावल व पीले हलुवे का श्रद्धा से भोग लगाकर पूजा करने की परम्परा है। माता सरस्वती बुद्धि व संगीत की देवी है। पंचमी के दिन को माता सरस्वती के जन्मोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। यह पर्व ऋतुओं के राजा का पर्व है। इन दिन से बसंत ऋतु से शुरु होकर, फाल्गुन माह की कृ्ष्ण पक्ष की पंचमी तक रहता है। यह पर्व कला व शिक्षा प्रेमियों के लिये विशेष महत्व रखता है।
एक किंवदन्ती के अनुसार इस दिन ब्रह्मा जी ने सृ्ष्टि की रचना की थी। यह त्यौहार उतर भारत में पूर्ण हर्ष- उल्लास से मनाया जाता है। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम ने माता शबरी के झूठे बेर खाये थे। इस उपलक्ष्य में बसन्त पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्तों में शामिल किया जाता है। बसंत पंचमी के दिन शुभ कार्य जिसमें विवाह, भवन निर्माण, कूप निर्माण, फैक्ट्री आदि का शुभारम्भ, शिक्षा संस्थाओं का उद्धघाटन करने के लिये शुभ मुहूर्त के रुप में प्रयोग किया जाता है।
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