Anant Chaturdashi 2024: हिंदू धर्म में त्योहारों और पर्वों का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी को एक शुभ दिन माना जाता है। इस दिन जो लोग व्रत रखते हैं और र श्रीहरि विष्णु भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है सालभर में इस दिन श्रीहरि की पूजा कर ली जाए तो 14 साल तक अनंत फल प्राप्त होता है। इसी दिन बप्पा की विदाई भी होती है, गणेश चतुर्थी पर धरा पर आगमन करने वाले भगवान गणेश का विसर्जन ‘अनंत चतुर्दशी’ को ही किया जाता है। वहीं इस साल अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर को मनाई जाएगी। ऐसे में यहां देखें इसका महत्वा और मुहूर्त।
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वर्ष 2024 में अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर को मनाई जाएगी। यह विश्वकर्मा पूजा के साथ ही मनाई जाएगी। इस दिन को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। लाभ चौघड़िया सुबह 10 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट तक। इस अवधि में आप पूजा कर सकते हैं।
अनंत चतुर्दशी आध्यात्मिक साधना के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन अपनी पढ़ाई शुरू करने वाले छात्रों को अपने विषयों का गहन ज्ञान प्राप्त होता है। धन की चाह रखने वालों को समृद्धि प्राप्त होगी और ईश्वरीय निकटता की इच्छा रखने वाले भक्तों को अनंत ईश्वरीय उपस्थिति का आशीर्वाद मिलेगा। इसके साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले स्नान कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
वैसे तो अनंत चतुर्दशी की पूजा किसी पवित्र नदी, सरोवर के किनारे करने का विधान है। यदि आप किसी पवित्र नदी पर जा सकते हैं तो ठीक है वरना आप चाहें तो अपने घर के मंदिर में भी पूजा अर्चना कर सकते हैं।
पूजा के लिए सबसे पहले भगवान विष्णु की शेषनाग की शैय्या पर लेते हुए प्रतिमा की स्थापना करें।
इसके बाद एक डोरे लें और उसमें 14 बार गांठ बांध लें। इस डोरे को भगवान की तस्वीर के पास रख दें। डोरा रखते समय ओम अनंताय नमः मंत्र का जप करें। इसके बाद पुरुष अपने दाहिने हाथ में और स्त्री अपने बाएं हाथ में धागा बांध लें।
इसके बाद अनंत चतुर्दशी की कथा का पाठ करें क्योंकि, इसके बिना आपको अपने व्रत का पूरा फल नहीं मिल पाएगा और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना विधि विधान से करें। अंत में आरती करें और फिर ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं। ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद परिवार के साथ मिलकर प्रसाद ग्रहण करें।
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