रायपुर: Akshay Navami 2024 Shubh Muhura सनातन धर्म में व्रत त्योहारों का बेहद अहम महत्व है। कहा जाता है कि व्रत-त्योहार सनातन धर्म की शोभा बढ़ाते हैं। वैसे तो हरियाली के साथ ही भारत में त्योहारों का दौर शुरू हो जाता है, जो दिवाली के बाद तक चलता है। दिवाली के बाद पूरे देश में आंवला नवमी का त्योहार मनाया जाता है, जिसे कुछ राज्यों में अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। आज आंवना नवमी का पर्व मनाया जा रहा है।
Akshay Navami 2024 Shubh Muhura ऐसी मान्यताएं है कि इसी दिन श्री कृष्ण ने कंस का वध भी किया था और धर्म की स्थापना की थी। शास्त्र के जानकारों की मानें तो आंवले को अमरता को अमरता का फल माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ वैज्ञानिक तौर पर भी आंवला बड़ा गुणकारी माना जाता है। इस दिन आंवले का सेवन और आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस दिन आंवले के वृक्ष के पास विशेष तरह की पूजा उपासना भी की जाती है।
अक्षय नवमी की सुबह स्नान करके पूजा करने का संकल्प लें, प्रार्थना करें कि आंवले की पूजा से आपको सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का वरदान मिले। पूर्व दिशा की ओर मुख करें और आंवले के पेड़ को जल अर्पित करें। वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें और कपूर से आरती करें। वृक्ष के नीचे निर्धनों को भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन करें।
अक्षय नवमी का त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि 9 नवंबर रात 10:45 बजे से लेकर 10 नवंबर को रात 9:01 बजे तक रहने वाली है। अक्षय नवमी की पूजा का मुहूर्त 10 नवंबर को सुबह 6 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक रहने वाला है। इस शुभ मुहूर्त में आप अक्षय नवमी की पूजा और दान-धर्म का कार्य कर सकते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक नगर में एक गरीब ब्राह्मण का परिवार रहता था। उस परिवार में भक्ति, श्रद्धा और सत्यनिष्ठा का निवास था, परंतु आर्थिक रूप से वे अत्यंत गरीब थे। एक बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन ब्राह्मण दंपत्ति ने आंवले के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा की और व्रत किया। उनके पास कुछ भी नहीं था, तो उन्होंने सिर्फ जल से भगवान की अभिषेक किया और आंवले का फल अर्पित किया।
इस श्रद्धा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उस ब्राह्मण परिवार को अक्षय फल का आशीर्वाद दिया। इसके पश्चात, उस परिवार का जीवन सुख-समृद्धि से भर गया। कहा जाता है कि इसी कारण इस दिन की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में धन, धान्य एवं खुशहाली आती है।
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