Ramlala’s life prestige Schedule: वाराणसी। अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा को अब बहुत कम दिन बाकी है। पूरे देश में इसे लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। 22 जनवरी को रामलला अपने धाम में विराजमान होने जा रहे है। इस दिन पूरे देश में दिवाली जैसा माहौल रहने वाला है। लेकिन क्या आप जानते है रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 7 दिन पहले ही शुरू हो जाएगा। इसके बाद 22 जनवरी को मात्र 84 सेकेंड के सूक्ष्म अभिजीत मुहूर्त में भगवान रामलला के अचल मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इसके बाद उसी दिन महापूजा होगी और महाआरती भी होगी।
Ramlala’s life prestige Schedule: 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त के वे अति सूक्ष्म मुहूर्त 84 सेकेंड दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकेंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड के बीच होंगे। आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित और उनके बेटे पंडित अरुण दीक्षित के साथ देशभर के 121 वैदिक ब्राह्मण इस पूजा को संपन्न कराएंगे। राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले लक्ष्मीकांत दीक्षित के पुत्र पंडित अरुण दीक्षित के मुताबिक, किसी भी मूर्ति की जब मंदिर या घर में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, उसमें देवत्व आता है यानी प्राण आता है। इसे मूर्ति का जागृत होना भी कह सकते हैं। मूर्ति को रथ पर या जो भी साधन हो उसमे लाया जाता है। उसके बाद हवन होता है।
Ramlala’s life prestige Schedule: सबसे पहले मूर्ति को जल में डुबाते हैं, जिसे जलधिवास कहते हैं। ऐसा इसलिए ताकि अगर मूर्ति में कोई छेद या त्रुटि रह गई हो तो कारीगर उसे देख ले। फिर शहद और घी से दरार को खत्म किया जाता है। एक रात अन्न में मूर्ति बैठाई जाती है। जिसे अन्नाधिवास कहते हैं। इसके बाद 108 कलशों से स्नान होता है। इसमें गौ मूत्र, गोबर, दूध के साथ औषधियों, पुष्पों, छाल, पत्तों से भरे कलशों से स्नान कराया जाता है। पत्ते में आम, वट, सेवर, पाकड़, जामुन आदि होते हैं। जड़ीबूटियों में सहदेवी, जटामासी, विष्णुक्रांता आदि होती हैं।
Ramlala’s life prestige Schedule: इसके बाद चारों वेदों के जानकार अभिमंत्रण करते हैं। बारी-बारी से अभिषेक होता है। इसके अलावा फलाधिवास, घी में आवास होता है। इससे मूर्ति के दोष आदि खत्म किए जाते हैं। यकीन मानिए स्नान के बाद ही मूर्ति में दिव्यता आ जाती है। फिर भगवान को रातभर सुला दिया जाता है। जिसे शय्याधिवास कहते हैं। रात में करीब ढाई घंटे का न्यास होता है मंत्रों से, जो पूरी तरह से गुप्त होता है।
Ramlala’s life prestige Schedule: इसके बाद अगले दिन शंख और घंटों की ध्वनि से भगवान को उठाया जाता है। फिर नेत्र शुभारंभ के लिए भी मंत्र पाठ होता है। षोडशोपचार पूजन कर पंचरत्न, पंचद्रव्य नवरत्न अंदर डालकर उस स्थान पर मूर्ति को स्थापित किया जाता है। फिर प्रतिष्ठा के मंत्रों और अक्षत छिड़ककर भगवान को स्थिर किया जाता है। वैसे तो इस पूरी प्रकिया का कोई निश्चित समय नहीं है। एक दिन में भी प्रतिष्ठा हो जाती है तो पांच दिन, सात दिन, 11 दिन भी लगते हैं। राम मंदिर में ये पूजा 7 दिनों तक होगी।
16 जनवरी: मंदिर ट्रस्ट के यजमान द्वारा प्रायश्चित, सरयू तट पर कदशविध स्नान, विष्णु पूजन और गोदान।
17 जनवरी: शोभायात्रा अयोध्या भ्रमण करेगी, श्रद्धालु कलश में सरयू का जल लेकर मंदिर पहुंचेंगे।
18 जनवरी: गणेश अंबिका पूजन, वरुण पूजन, मातृका पूजन, ब्राह्मण वरण, वास्तु पूजन आदि से अनुष्ठान प्रारंभ।
19 जनवरी: अग्नि स्थापना, नवग्रह स्थापना और हवन।
20 जनवरी: गर्भगृह को सरयू के जल से धोकर वास्तु शांति और अन्नाधिवास कांड होंगे।
21 जनवरी: 125 कलश से मूर्ति का दिव्य स्नान।
22 जनवरी: मृगशिरा नक्षत्र में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होगी।
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