Story of Rambhakt Akbar Taj of Khandwa

Rambhakt Akbar Taj : एक रामभक्त ऐसा भी..! अकबर ताज के रोम-रोम में बसे हैं राम, अपनी रचनाओं से देशभर में करते हैं रामलला का गुणगान..

Story of Rambhakt Akbar Taj of Khandwa: दिव्यनेत्र कवि अकबर ताज भी ऐसे ही रामभक्तो में से एक हैं। राम उनके रोम–रोम में रचे बसे है।

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Modified Date: January 7, 2024 / 03:36 PM IST
Published Date: January 7, 2024 3:36 pm IST

Story of Rambhakt Akbar Taj of Khandwa : खंडवा। 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु श्री राम की प्राण–प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है, लेकिन यह उत्साह केवल हिन्दूओ में ही नही बल्कि मुस्लिमो में भी है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के प्रति केवल हिन्दू ही नही, मुस्लिम समुदाय के लोग भी आस्था और श्रद्धा रखते हैं। मध्यप्रदेश के खंडवा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर बसे ग्राम हापला-दीपला के दिव्यनेत्र कवि अकबर ताज भी ऐसे ही रामभक्तो में से एक हैं। राम उनके रोम–रोम में रचे बसे है। उन्होंने प्रभु श्री राम पर रचनाएं भी लिखी है, जिनकी पंक्तियां हैं, “बनारस की सुबह वाले अवध की शाम वाले हैं, हम ही सुजलाम वाले हैं, हम सुफलाम वाले हैं, वजू करते हैं, पांचों वक्त हम गंगा के पानी से, तुम्हारे ही नहीं श्रीराम, हम भी राम वाले हैं।”

 

अकबर ताज को मिला निमंत्रण

Story of Rambhakt Akbar Taj of Khandwa : खंडवा के अकबर ताज को संत जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने 14 जनवरी को अयोध्या में होने वाले भव्य आयोजन में काव्यपाठ करने के लिए आमंत्रित किया है। बता दें, कि अकबर ताज अपनी रचनाओं से देशभर में श्रीराम के चरित्र का गुणगान कर रहे हैं। वह कहते हैं, “भगवान श्रीराम सबके हैं। उनका अवतार मानव जाति की भलाई के लिए हुआ।”

इतना ही नहीं अकबर ताज ने अबतक दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद, लखनऊ व सूरत सहित देशभर के कई काव्य मंचो पर काव्यपाठ किया हैं। उनकी रचनाओं का केंद्र हमेशा प्रभु श्री राम रहे है। भगवान राम पर लिखी कविताओं ने उन्हें देशभर में अपार प्रसिद्धि और सम्मान दिलवाया है…। अकबर ताज अयोध्या में 22 जनवरी को प्रभु श्री राम की मूर्ति की प्राण–प्रतिष्ठा को लेकर बेहद खुश हैं। वह कहते हैं, भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र हमें मर्यादा में जीने की सीख देता है। उन्होंने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार किया…।

 

अकबर ताज की चर्चित रचनाएं

अकबर ताज ने अपनी रचनाएं सुनाते हुए कहा कि “राम बनो तो राम के जैसा होना पड़ता है, राजमहल को छोड़ के वन में सोना पड़ता है, राम कथा को पढ़ लेना तुम आज के राजाओं, धर्म की खातिर राज सिंहासन खोना पड़ता है।” अकबर श्री राम को सर्वव्याप्त मानते है, इसलिए उन्होंने लिखा कि “यहां भी राम लिख देना, वहां भी राम लिख देना, ये अकबर ताज कहता है, कि चारों धाम लिख देना, समंदर में भी फेंकोगे तो पत्थर तैर जाएंगे, मगर उन पत्थरों पर रामजी का नाम लिख देना।”

 

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र का वर्णन करते हुए अकबर लिखते है, कि “मुझे तू राम के जैसा या फिर लक्ष्मण बना देना, सिया के मन के जैसा मन मेरा दर्पण बना देना, मुझे अंधा बनाया है, तो मुझको गम नहीं इसका, मेरी संतान को भगवन मगर श्रवण बना देना…। अपनी रचनाओं में अकबर ने प्रभु श्रीराम के वनवास काल का भी सुंदर वर्णन किया है, उन्होंने लिखा कि “राम वनवास पर जब चले, सब अयोध्या के घर से दिए, कैकई तुझको दुख ना हुआ, बाकी सब नारी नर रो दिए, राम के वन गमन की खबर, मां कौशल्या को जिस दम मिली, मां की ममता तड़पने लगी, दिल जिगर टूटकर रो दिए।”

 

 

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