Karnataka police investigates against Ram temple workers : अयोध्या। 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस शुभ कार्य में देश ही नहीं विदेशों से भी रामभक्तों आएंगे। कई दिग्गज हस्तियों को निमंत्रण कार्ड भेजा जा चुका है। अयोध्या के चौराहों से लेकर गलियों तक में सजावट का कार्य किया जा रहा है। देश के कोने कोने से अयोध्या में साधु संतों का भी जमवड़ा लगेगा। लेकिन बता दें कि इस राम मंदिर के निर्माण के लिए कई हिंदुओं ने अपनी प्राणों की आहूति दी है। 1992 में बाबरी मस्जिद का ऊपरी ढ़ांचा तोड़ा दिया गया था। इतना ही नहीं लाखों कारसेवकों आंदोलन कर राम मंदिर निर्माण के लिए बलिदान दिया था।
Karnataka police investigates against Ram temple workers : भगवान राम की नगरी अयोध्या हजारों महापुरुषों की कर्मभूमि रही है। यह पवित्र भूमि हिन्दुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था। यह राम जन्मभूमि है। इस राम जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर बना था जिसे तोड़ दिया गया था। लेकिन बीजेपी सरकार ने अब अयोध्या में फिर राम मंदिर का निर्माण करवाया है। जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है।
बता दें कि कर्नाटक पुलिस ने राम मंदिर कार्यकर्ताओं के खिलाफ जांच के मामले खोल दिए हैं। जो तीस साल पहले राम मंदिर के लिए आंदोलन के चरम के दौरान कथित तौर पर संपत्ति विनाश और अन्य अपराधों में शामिल थे। आईएएनएस की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने एक विशेष टीम को एकत्रित किया है और 1992 के राम मंदिर आंदोलन संबंधित मामलों में ‘संदिग्धों’ की एक सूची तैयार की है। जिसके कारण इस्लामावादियों द्वारा हिंसा की घटनाएं हुई और अंतर सांप्रदायिक संघर्ष हुए।
इसके अलावा 5 दिसंबर 1992 को एक अल्पसंख्यिक स्वामित्व वाली दुकान को आग लगाने की कथित घटना के संबंध में श्रीकांत पुजारी को हुबली पुलिस ने हिरासत में लिया है। पुजारी इस मामले में तीसरा प्रतिवादी है और पुलिस अन्य 8 प्रतिवादियों की तलाश कर रही है। पुजारी को अदालत की निगरानी में रखा गया है। इसी तरह हुबली पुलिस ने भी 300 संदिग्धों की एक सूची बनाई है।
घटनाओं को ध्यान में रखते हुए हिंदू संगठनों ने कांग्रेस सरकार की मौजूदा कार्रवाई की निंदा की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार, अयोध्या में श्रीराम मंदिर के उद्घाटन की पृष्ठभूमि के खिलाफ भाजपा और हिंदू संगठनों के घर घर अभियान को बर्दाश्त करने में असमर्थ है जो 30 साल पहले मामलों की जांच करने के लिए इस रणनीति का उपयोग कर रही है।