Ayodhya History Part-07: जब खुद CM ने कहा, “सरकार रहे या जाए, मंदिर अवश्य बनेगा”.. ली थी मस्जिद गिराने की जिम्मेदारी | Ayodhya History Part-07

Ayodhya History Part-07: जब खुद CM ने कहा, “सरकार रहे या जाए, मंदिर अवश्य बनेगा”.. ली थी मस्जिद गिराने की जिम्मेदारी

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Modified Date: January 17, 2024 / 02:04 PM IST
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Published Date: January 17, 2024 2:04 pm IST

अयोध्या: लगभग 500 वर्षों के इंतजार के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का सपना साकार होने हीं वाला है। राम मंदिर में प्रभु श्री राम के मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को है। भारत के प्रधानमंत्री और बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी के द्वारा यह शुभ कार्य होना है। राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर देशवासियों के बीच उत्साह है। सभी अपने राम के स्वागत के लिए बेताब हैं।

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वहीं दूसरी ओर राम मंदिर को लेकर राजनीति भी खूब हो रही है। विपक्ष केंद्र सरकार पर कई तरह के आरोप लगा रही है। विपक्ष का मनना है कि बीजेपी राम मंदिर निर्माण का श्रेय लेकर चुनाव जीतना चाहती है। वहीं कई नेताओं ने कहा है कि, मंदिर के जगह अस्पताल और विश्वविद्यालय का निर्माण होना चाहिए था। लेकिन अगर देखा जाए तो राम मंदिर का निर्माण होना इतना आसान नहीं था। राम मंदिर के निर्माण के लिए कई सालों तक आंदोलन किए गए हैं। राम मंदिर निर्माण के लिए कई लोगों ने अपनी जान भी दी है।

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कल्याण सिंह कल्याण करो, मंदिर का निर्माण करो

वहीं बीजेपी कई वर्षों से राम मंदिर के निर्माण के लिए आंदोलन कर रही है। बीजेपी के कई बड़े नेता राम मंदिर आंदोलन में शामिल हुए थे। इन्हीं नेताओं में से एक थे यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह। कल्याण सिंह राम मंदिर आंदोलन के बड़े चेहरे थे और अपने समय में यूथ आइकन थे। उस समय यूपी के युवाओं ने कल्याण सिंह के लिए नारा भी दिया था जोकि अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था। “कल्याण सिंह कल्याण करो, मंदिर का निर्माण करो।” उस समय पूरे यूपी में इसकी गूंज सुनाई देती थे। वहीं आज जब राम मंदिर का निर्माण अपनी अंतिम रुप में है ऐसे में कल्याण सिंह को याद करना स्वभाविक है। बता दें कि, आज यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का 92वीं जंयती है। वह 2 बार यूपी के सीएम बने।

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बीजेपी को मिली रामभक्तों की पार्टी की पहचान

जनता उन्हें देश की राजनीति में हिंदुत्व के नायक का खिताब देते हैं। कल्याण सिंह ने पद पर बने रहने के लिए कभी उसूलों से समझौता नहीं किया। इंटर कॉलेज के टीचर से लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल बनने तक का सफर उनके लिए कांटों भरा रहा। जिस वक्त भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ उस वक्त कल्याण सिंह प्रदेश संगठन में पदाधिकारी बनाए गए।

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उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में जान फूंकनी शुरू की। उनकी सक्रियता से बीजेपी को यूपी में काफी मजबूती मिली। 90 के दशक में देश की राजनीति मंडल और कमंडल के इर्द-गिर्द घूमने लगी। 1991 में विधानसभा चुनाव हुआ तो यूपी में बीजेपी की सरकार बनी। यहां के सीएम कल्याण सिंह बने। उनके सीएम बनने से लोगों में राम मंदिर निर्माण के लिए एक आस की किरण दिखी। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन के चेहरे के रुप में उभरे, इससे बीजेपी का राम भक्तों की पार्टी के तौर पर पहचान मिली।

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‘राम के खातिर 10 बार सरकार कुर्बान’

वहीं 6 दिसंबर 1992 में जब तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह अपने घर पर बैठ कर टीवी देख रहे थे उस वक्त कारसेवकों के द्वारा विवादित बाबरी दांचा को गिराया जा रहा था। वहीं त्कालीन डीजीपी सीएम से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। कल्याण सिंह से उन्होंने इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की। सीएम कल्याण सिंह ने उन्हें लाठी-डंडे और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल करने की छूट तो दी लेकिन कारसेवकों पर फायरिंग करने की इजाजत नहीं दी।

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डीजीपी इस मामले में कोई कार्रवाई करते इसके पहले ही करसेवकों ने बाबरी ढांचा को गिरा दिया था। गौरतलब हो कि, इस घटना के बाद कल्याण सिंह ने गर्व से पूरी घटना की जिम्मेदारी ली और राम मंदिर आंदोलन के लिए अपनी पूर्ण बहुमत वाली सरकार कुर्बान कर दी। कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंप दिया। वहीं अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि, ‘मैं यूपी का सीएम था। जो हुआ, उसकी मैं पूरी तरह जिम्मेदारी लेता हूं। ढांचा गिर गया तो मैंने उसकी कीमत चुकाई। मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। अभी और क्या कोई हमारी जान लेगा? राम मंदिर बनाने की खातिर एक क्या 10 बार सरकार कुर्बान करनी पड़ेगी तो करेंगे।’

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