Sarvapitri Amavasya Upay: 2 अक्टूबर को पितृपक्ष का अंतिम दिन यानि सर्वपितृ अमावस्या है। 16 दिनों तक चलने वाले इस पितृ पक्ष में हर दिन तिथि के अनुसार, पितरों का तर्पण किया जाता है। 16 दिनों के श्रद्ध कर्म में सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन उन सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जा सकता है, जिन मृतात्मा की मृत्यु तिथि आप नहीं जानते हैं। पितृ पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या और मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं। ऐसे में जो लोग 15 दिनों में श्राद्ध-तर्पण नहीं कर पाए हैं, वे पितृ अमावस्या के दिन जरूर अपने पितरों को याद करके उनके नाम से दान पुण्य जरूर कर लें।
पितरों की शांति के लिए करें ये काम
पितृपक्ष में पितरों का आशीर्वाद पाना और उन्हे खुश रखना बेहद जरूरी है। इसका सबसे अच्छा उपाय पितृपक्ष के दौरान उनका श्राद्ध करना है। अगर किसी कारणों के चलते आप अपने पूर्वजों की श्राद्ध तिथि भूल गए हैं तो आप नका तर्पण , श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन भी कर सकते हैं। पितरों की आत्मा शांति हेतु अन्न, वस्त्र का दान देना एवं श्राद्ध करना श्रेयस्कर है। इससे पितर देवता प्रसन्न होकर अपने कुल की वृद्धि हेतु संतान एवं धन समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
इन चीजों का करें दान
सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को अर्घ्य और उनके नाम से दान करने से पितृ तर्पण का फल प्राप्त होता है। ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ उन्हें अपनी सामर्थ्य अनुसार अन्न, वस्त्र, बर्तन, तिल, चांदी के पात्र या अन्य कोई सामान और दक्षिणा अवश्य ही देनी चाहिए। इस दिन किया गया दान और श्राद्ध न केवल पूर्वजों को बल्कि श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को भी शांति देता है।
मांस-मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहें
सर्वपितृ अमावस्या के दिन बनाए जाने वाले भोजन में लहसुन प्याज का प्रयोग भूलकर भी मत करें। मांस मदिरा का प्रयोग भूलकर भी न करें।
जरूरतमंद लोगों की मदद करें
सर्वपितृ अमावस्या के दिन कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति आपके पास आता है, तो सामर्थ्य अनुसार उनकी मदद जरूर करें। कोशिश करें कि वह व्यक्ति आपके पास से निराश न लौटे।