देवास, माता मंदिर की वजह से काफी प्रसिद्ध है जो यहां एक पहाड़ी स्थित है। देवास में स्थित इस मंदिर को कई अलग अलग नाम से भी जाना जाता है।
देवास में स्थित माता मंदिर को देवास माता मंदिर भी कहा जाता है। टेकरी पर स्थित यह मंदिर भवानी का यह मंदिर बेहद प्रसिद्ध है, यहां मंदिर में दो देवी विराजमान है जिनमें से एक को तुलजा भवानी और दूसरी को चामुंडा देवी के नाम से जाना जाता है।
माता रानी के इस मंदिर को लेकर कहा जता है कि ये 24 घंटे में तीन बार अपना रूप बदलती हैं। इसके अलावा कहा जाता है कि यहां पर माता सती का रक्त गिरा था जिसकी वजह से इसे रक्त शक्ति पीठ या अर्ध शक्ति पीठ का दर्जा भी मिला है।
देवास माता मंदिर को 52 शक्तिपीठ में से एक माना जाता है। बताया जाता है कि देश के अन्य शक्तिपीठों पर माता के शरीर के भाग गिरे थे लेकिन यहां टेकरी पर माता का रुधिर गिरा था, जिसके कारण मां चामुंडा देवी यहां पर प्रकट हुई थी। चामुंडा देवी को सात प्रमुख देवियों में से एक माना जाता है।
बता दें कि टेकरी पर स्थित तुलजा भवानी मंदिर की स्थापना मराठी राज परिवार द्वारा की गई थी और वे माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते थे। दोनों माता सगी बहने हैं। ऐसा कहा जाता है कि विक्रमादित्य के भाई ने भर्तहरि ने तपस्या की थी। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर अनादि काल से है। लेकिन मंदिर की प्राचीनता का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है।
देवास माता मंदिर का अपना धार्मिक महत्व है। देवास में टेकरी पर आज भी दोनों माता अपने उसी स्वरुप में विराजमान है। भक्तों की मान्यता है कि आज भी माता की ये जाग्रत है और स्वयंभू स्वरुप में हैं।
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