बकरी पालन- बकरी एक छोटी दुधारु पशु है, जो छोटे और सीमांत किसानों की आमदनी में चार चांद लगा सकती है। आज बकरी का दूध, दूध से बने उत्पाद और बकरी का मांस भी काफी अच्छे दामों पर बिक रहा है। अब गांव से लेकर शहरों में बकरी पालन से आमदनी बढ़ती जा रही है। किसान चाहें तो खेती के साथ-साथ 5 बकरियों को पालकर भी जीवनभर की कमाई का इंतजाम कर सकते हैं। कई बैंक और सहकारी संस्थायें अब बकरी पालन के लिये लोन भी देती है। किसान चाहें सिर्फ बकरी का दूध बेचकर ही सालाना 1.5 से 2 लाख तक का मुनाफा कमा सकते हैं।
भैंस पालन- भारत में पशुपालन और डेयरी फार्मिंग के व्यावसायीकरण का श्रेय भैंस पालन क्षेत्र को ही जाता है। भैंस की मुर्रा जैसी नस्लों ने दूध उत्पादन क्षेत्र को नये आयाम दिये हैं। अगर आप कम समय में पशुपालन व्यवसाय से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो भैंस पालन व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। बता दें कि मुर्रा जैसी अव्वल दर्जे की भैंस प्रति दिन 12 से 16 लीटर तक दूध देती है, जिसे अब 60 से 70 रुपये किलो बेचा जा रहा है। इतना ही नहीं, पशुपालन से जुड़ी योजनाओं के तहत भैंस की खरीद पर 25 से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी भी दी जा रही है। कई राज्य सरकारें भी दूध उत्पादन के जरिये राजस्व बढ़ा रही है और पशुपालकों को लाभान्वित रह ही हैं।
गाय पालन- प्राकृतिक खेती और जैविक खेती की लोकप्रियता बढ़ने से अब गायों की ड़िमांड भी बढ़ती जा रही है। गौपालन करके लोग लाखों की आमदनी ले रहे हैं। बता दें कि देसी गौवशों से रोजाना 30 से 35 लीटर तक बेहतर क्वालिटी वाला A2 दूध का उत्पादन मिलता है, जो 50 से 70 रुपये लीटर के भाव बिकता है। वहीं अब गाय के गोबर और गौमूत्र की डिमांड भी बढ़ती जा रही है, जो गाय के दूध से भी महंगे बिकते हैं। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर भी गाय पालन पर सब्सिडी योजनाओं का लाभ देती हैं। किसान चाहें तो शुरूआत में पशु किसान क्रेडिट कार्ड पर कम ब्याज दरों वाला लोन लेकर 4 से 5 गायों के साथ गाय का डेयरी फार्म शुरू कर सकते हैं और दूध से बने उत्पादों के साथ-साथ गोबर से गैस, कंडे और खाद बनाकर भी बढिया मुनाफा कमा सकते हैं।
मधुमक्खी पालन- मधुमक्खी पालन को पशुपालन और डेयरी फार्मिंग से नहीं जोड़ा जा सकता, लेकिन ये मित्र कीट भी किसानों को बढ़िया आमदनी दिलवा रहे हैं। बता दें कि मधुमक्खियां सिर्फ शहद उत्पादन के लिये ही नहीं, बल्कि फसलों में पॉलीनेशन के जरिये उत्पादन बढ़ाने में भी मददगार साबित होती हैं। आज नेशनल बी बोर्ड और राष्ट्रीय शहद मिशन के तहत किसानों को मधुमक्खी पालन से जोड़ने के लिये आर्थिक अनुदान दिया जा रहा है।
मुर्गीपालन- मुर्गी, मांस और अंडों की बढ़ती हुई मांगों को देखते हुये मुर्गी पालन व्यवसाय का ट्रेंड भी बढ़ता जा रहा है। अब ज्यादातर युवा नौकरियां छोड़कर मुर्गियों की उन्नत किस्मों को पालकर बढिया आमदनी कमारहे हैं। इतना ही नहीं, कड़कनाथ जैसी मुर्गियां पालकर अंडा और मांस के जरिये करोडों का भी टर्नओवर बना रहे हैं। किसान चाहें तो नेशनल लाइवस्टॉक स्कीम के जरिये आर्थिक सहायता लेकर दस हजार तक मुर्गियों से एक पोल्ट्री फार्म शुरू कर सकते हैं, जिससे हर महीने 60 हजार रुपये की आमदनी भी ले सकते हैं।
मछली पालन- भारत में मछली पालन का विस्तार करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्रा मत्स्य संपदा यजोना चलाई जा रही है, जिसके तहत मछली पालक, मछुआरों और किसानों को आर्थिक अनुदान दिया जाता है। पहले मछली पालन सिर्फ नदियों और समंदर तक ही सीमित था, लेकिन अब ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसी पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिये लोग मछली का भी सेवन कर रहे हैं। अब किसान भी खेती-किसानी के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी कमाने के लिये मछली पालन से जुड़ रहे हैं। बाजार में मछली का भाव करीब 100 से 200 रुपये किलो है। इस हिसाब से महीने में 5 हजार मछलियां बेचकर 40 से 50 हजार की आमदनी ले सकते हैं।