पैंट की जिप खोलना, लड़की का हाथ पकड़ना नहीं है पॉक्सो के तहत यौन हमला, हाईकोर्ट ने पलटा फैसला | Zip of pants was open, holding daughter's hand High court did not consider sexual assault under Poxo Reflex decision

पैंट की जिप खोलना, लड़की का हाथ पकड़ना नहीं है पॉक्सो के तहत यौन हमला, हाईकोर्ट ने पलटा फैसला

पैंट की जिप खोलना, लड़की का हाथ पकड़ना नहीं है पॉक्सो के तहत यौन हमला, हाईकोर्ट ने पलटा फैसला

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:41 PM IST
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Published Date: January 28, 2021 7:32 am IST

नागपुर। स्किन टू स्किन फैसले के बाद बच्चों से संबंधित यौन शोषण के अपराध पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बैंच का एक और फैसला आया है। हाईकोर्ट के मुताबिक नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और पैंट की जिप खोलना, POCSO के तहत यौन हमला नहीं है। ये भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत यौन उत्पीड़न के तहत अपराध हैं, POCSO के तहत यौन हमला के अंतर्गत इन मामलों को नहीं देखा जा सकता।

नागपुर हाईकोर्ट की जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला की सिंगल बैंच ने एक प्रौढ़ आरोपी के 5 साल की लड़की से यौन अपराध मामले में ये फैसला दिया है। बता दें कि अधीनस्थ न्यायालय ने दोषी के खिलाफ पोक्सो की धारा 10 के तहत यौन हमले के तहत उसे 5 साल के सश्रम कारावास और 25,000 रु के जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस मामले में नाबालिग की मां ने शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी की पैंट की चैन खुली हुई थी, और उसकी बेटी के हाथ उसके हाथ में थे। अदालत ने यौन हमले की परिभाषा में ” शारीरिक संपर्क” शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि इसका अर्थ है “प्रत्यक्ष शारीरिक संपर्क-यानी यौन प्रवेश के बिना स्किन- टू -स्किन- कॉन्टेक्ट.”

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हाईकोर्ट ने कहा कि ये मामला भारतीय दण्ड संहिता की धारा 354A (1) (i) के तहत आता है, इसलिए, पॉक्सो अधिनियम की धारा 8, 10 और 12 के तहत सजा को रद्द किया जाना उचित प्रतीत होता है। केस में आरोपी को आईपीसी की धारा 354A (1) (i) के तहत दोषी पाया गया, जिसमें अधिकतम 3 साल की कैद का प्रावधान है। कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीलों को स्वीकार करते हुए ये माना कि अभियुक्त द्वारा पहले से ही 5 महीने की कैद की सजा अपराध के लिए पर्याप्त सजा है।

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इससे पहले एक अहम मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने फैसला सुनाते हुए अनोखी टिप्पणी की थी, कोर्ट ने कहा है कि किसी को जबर्दस्तरी छूना यौन हमले की श्रेणी के दायरे में नहीं आता है। किसी भी गतिविधि को यौन शोषण की श्रेणी में तभी माना जाएगा, जब जब ’यौन इरादे से त्वचा से त्वचा का संपर्क’ हुआ हो। इस मामले में सुनवाई भी जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला की सिंगल  बैंच में हुई थी।

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दरअसल, यौन हमले को लेकर लगाई गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला ने कहा कि कोई भी कृत्य तब तक यौन हमले के दायरे में नहीं आता, जब तक आरोपी पीड़िता के कपड़े हटा कर या कपड़ों में हाथ डालकर फिजिकल कॉन्टैक्ट नहीं करता। सिर्फ नाबालिग के सीने को छूना यौन हमला नहीं कहलाएगा। जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाते हुए शख्स के कन्विक्शन में बदलाव भी किया था।

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सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि पॉक्सो कानून के तहत यौन हमले में यौन इरादे से हमला करने और बिना पेनिट्रेशन के बच्चे के प्राइवेट पार्ट्स को छू कर फिजिकल होना या आरोपी का बच्चे से अपना प्राइवेट पार्ट छूने के लिए मजबूर करना शामिल है।

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जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि बिना किसी साफ जानकारी के जैसे कि क्या टॉप हटाया गया था या आरोपी ने अपना हाथ टॉप के अंदर डाला, इसके आभाव में 12 साल की बच्ची के ब्रेस्ट दबाने की हरकत को यौन हमले की श्रेणी में नहीं रख सकते। ये आईपीसी के सेक्शन 354 के तहत आएगा, जो महिला की लज्जा भंग करने की सजा का प्रावधान बताता है।

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फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार आरोपी ने पीड़ित लड़की को एक अमरुद देने के बहाने फुसलाया था और उसे अपने घर ले गया था, बाद में जब लड़की की मां मौके पर पहुंची तो उन्होंने अपनी बेटी को रोती हुई पाया। लड़की ने पूरी घटना अपनी मां को बताई, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई।

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