मुंबई। देश के 5वें सबसे बड़े प्राइवेट बैंक की लिस्ट में शुमार होने वाले यस बैंक अब डूबने की कगार पर पहुंच गया है। इसके पीछे की वजह बैंक का लगातार एनपीए की समस्या से जूझना है। आपको बता दें कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप सहित कई ऐसी डिफॉल्टर कंपनियां जिस पर भी यस बैंक के हजारों करोड़ों रुपए बकाया है।
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यस बैंक के संस्थापक और पूर्व सीईओ राणा कपूर को लेकर कहा जाता रहा है कि वह किसी भी कंपनी को लोन नियम और प्रक्रिया के तहत नहीं बल्कि रिश्तों के आधार पर देते थे। यही वजह है कि आज कई कंपनियों ने यस बैंक से उधार लेने के बाद डिफॉल्टर हो गए। वहीं अब आलम ऐसा है कि ख्याति में पहुंचने के बाद अब डूबने की कगार पर खड़ा है।
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खबरों के अनुसार आईएस एंड एफएस, अनिल अंबानी ग्रुप और तमाम अन्य ऐसी कंपनियों को यस बैंक ने लोन बांट दिए। जो डिफॉल्टर साबित हुईं। सीजी पावर, एस्सार पावर, वरदराज सीमेंट समेत ऐसी कई कंपनियों पर हजारों करोड़ रुपये यस बैंक के बकाया हैं, जिन्होंने उसकी नींव हिला दी और अंत में रिजर्व बैंक को कामकाज संभालना पड़ा।
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विश्लेषकों के मुताबिक अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप की कई कंपनियों पर भी यस बैंक के 13,000 करोड़ रुपये बाकी हैं। बैंकिंग सेक्टर से लेकर शेयर मार्केट तक को हिलाने वाले आईएल एंड एफएस पर यस बैंक के 2,442 करोड़ रुपये बकाया हैं, जिसे एनपीए में डाल दिया गया। इसके अलावा एस्सल ग्रुप पर यस बैंक के 3,300 करोड़ रुपये बकाया हैं।
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शु्क्रवार को आरबीआई ने लगाई पाबंदी
एनपीए की समस्याओं के बीच आरबीआई ने निर्देश जारी किया। इसके अनुसार यस बैंक में बचत, चालू या किसी अन्य जमा खाते से एक महीने के दौरान 50 हजार रुपये से ज्यादा धनराशि नहीं निकाली जा सकेगी। इसके अलावा यदि किसी के बैंक में एक से ज्यादा खाते हैं तो भी 50 हजार से ज्यादा धनराशि नहीं निकाली जा सकेगी। दूसरी ओर एसबीआई बोर्ड ने येस बैंक में निवेश के लिए ‘सैद्धांतिक’ स्वीकृति दे दी है।
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