यशोधरा राजे सिंधिया का बयान, 'सिंधिया को गद्दार बताने वाले नेताओं को दी नसीहत, कहा पहले पढ़े सिंधिया परिवार का इतिहास | Yashodhara Raje Scindia's statement, 'Advised leaders who called Scindia a traitor, said first read Scindia family history

यशोधरा राजे सिंधिया का बयान, ‘सिंधिया को गद्दार बताने वाले नेताओं को दी नसीहत, कहा पहले पढ़े सिंधिया परिवार का इतिहास

यशोधरा राजे सिंधिया का बयान, 'सिंधिया को गद्दार बताने वाले नेताओं को दी नसीहत, कहा पहले पढ़े सिंधिया परिवार का इतिहास

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:57 PM IST, Published Date : March 10, 2020/10:38 am IST

भोपाल। यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का भविष्य पार्टी का नेतृत्व तय करेगा। उन्होने कहा कि वे युवा नेता हैं उनके लिए जो भी रोल होगा महत्वपूर्ण होगा। इसके साथ ही उन्होने सिंधिया को गद्दार बताने वाले नेताओं को नसीहत भी दे डाली और कहा कि पहले सिंधिया परिवार का इतिहास पढ़ें।

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गौरतलब है कि कांग्रेस से इस्तीफे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद अब लगभग तस्वीर साफ हो गई है। कहा जा रहा है कि जल्द ही ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी का दामन थामेंगे। इससे एक चीज और भी स्पष्ट होती है कि कमलनाथ की कांग्रेस सरकार अब गिर जाएगी। कारण है कि सिंधिया के 17 समर्थक विधायक पहले ही कांग्रेस की पहुंच से बाहर हो चुके हैं।

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इससे पहले मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार के छह मंत्री समेत कुल 17 विधायक बेंगलुरु जा चुके हैं। ये सभी विधायक और मंत्री सिंधिया के गुट के ही हैं। इस बात की पूरी उम्मीद है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी में जाने वाले हैं। अब यह देखना होगा कि बीजेपी उन्हें केंद्र में ले जाती है या फिर उन्हें मध्य प्रदेश में ही कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी।

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18 साल कांग्रेस में रहे और लगातार चार बार सांसद बने सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ने का ऐलान कर दिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस्तीफे में यह भी कहा है कि वह अपने लोगों, कार्यकर्ताओं और राज्य के लिए कांग्रेस में रहकर काम नहीं कर पा रहे हैं।

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बता दें कि ग्वालियर पर राज करने वाली ज्योतिरादिल्य सिंधिया की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत की। वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं। सिर्फ 10 साल में ही उनका मोहभंग हो गया और 1967 में वह जनसंघ में चली गईं। विजयाराजे सिंधिया की बदौलत ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ मजबूत हुआ और 1971 में इंदिरा गांधी की लहर के बावजूद जनसंघ यहां की तीन सीटें जीतने में कामयाब रहा। खुद विजयाराजे सिंधिया भिंड से, अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से और विजय राजे सिंधिया के बेटे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया गुना से सांसद बने।

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गुना पर सिंधिया परिवार का कब्जा लंबे समय तक रहा। माधवराव सिंधिया सिर्फ 26 साल की उम्र में सांसद चुने गए थे लेकिन वह बहुत दिन तक जनसंघ में नहीं रुके। 1977 में आपातकाल के बाद उनके रास्ते जनसंघ और अपनी मां विजयाराजे सिंधिया से अलग हो गए। 1980 में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर केंद्रीय मंत्री भी बने।