बालोद। बालोद जिला की महिलायें ‘महिला कमाण्डो’ से जुड़कर समाजिक सरोकार के साथ साथ महिला सशक्तिकरण की दिशा में अब एक नई मिसाल पेश कर रही हैं। जिले के ज्यादातर गाॅव में महिला कमाण्डो का गठन किया गया है। जिसमे 12 हजार से भी अधिक महिलायें जुड़ी हुई हैं और अपने गाॅव मे बेहतर वातावरण बनाने प्रयासरत हैं। बिना कुछ मानदेय लिये ये महिलाये ‘महिला कंमाण्डो’ का सदस्य बनकर पूरी निष्ठा के साथ अपने काम में लगी हुई है। कुछ गाॅव में ये महिला कमांडो कमजोर वर्ग के लिये बड़ी मददगार साबित हो रही हैं। यही नही अब ये महिलायें आत्मनिर्भर बनने गृह उद्योग स्थापित कर स्वरोजगार से भी जुड़ रही हैं।
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बालोद जिले में महिला कमाण्डो का गठन साल 2006 में लगभग 100 महिलायों को जोड़कर शुरू हुआ और ये सभी महिलायें गुण्डरदेही ब्लॉक में सक्रिय रही जो लगातार कई सालों तक समाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ते हुये अपने संगठन को मजबूत बनाने की दिशा में काम करती रही। इन महिलाओं की कार्यशैली को देख पुलिस विभाग ने इन्हे इस दिशा में आगे बढ़ने प्रोत्साहित किया। जिसका सुखद परिणाम भी देखने को मिला। महिलाएं अपने गाॅव के वातावरण को बेहतर बनाने में जुटी रही। समाजिक बुराईयों के खिलाफ गाॅव गाॅव में काम करने लगी।
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समय के साथ साथ अब जिले के लगभग 300 गाॅवों मे महिला कमाण्डो का गठन हो गया और 12 हजार से भी अधिक महिलायें महिला कमाण्डो से जुड़ गई। गाॅव को नशा मुक्त करने व स्वच्छ रखने की प्रयास मे जुट गई। और इनका प्रयास रंग भी लाया कई गाॅवो का वातावरण बेहतर भी हो गया। शाम होते ही गाॅव मे ये महिला कमाण्डो अपने समूह में गाॅव का भ्रमण करती हैं। गाॅव मे असमाजिक तत्वों पर नकेल कसती हैं। देर रात तक धूमने व बैठने वालों को मना करती हैं। गाॅव के आसपास खुले मे शौच करने वालों को भी मना करती है।
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गाॅव गाॅव में आज ये महिलायें बेहद सक्रिय हो चुकी है। यही नही ये महिलायें अब शासन की योजनाओं के तहत खुद को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर हो रही हैं। अपने गाॅव मे कुटीर उद्योग लगाकर स्वरोजगार से जुड़ रही हैं। जिससे ये महिलायें और ज्यादा सशक्त हो रही है। ये महिला कमांण्डो कुछ गाॅव मे समाजिक सरोकार मे भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुये कमजोर परिवार के लिये मसीहा बनकर अपने दायित्व का निर्वहन कर रही है। एक गाॅव मे बच्चा प्रीतम कुमार जिसके माॅ की मृत्यु टीबी बीमारी से हो गया। महिला कमांण्डो ने उस पीड़ित परिवार के बच्चों व उसके पालक का देखरेख का जिम्मा उठाया। उनका इलाज करवाया और शासन द्वारा मिलने वाले लाभ दिलाने के प्रयास में भी जुटी हुई है। उस बच्चे का जन्म दिन हर साल ये महिलायें एक जुट होकर मनाती हैं।
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महिला कामंण्डो से जुड़ी महिलाओं का माने तो कई तरह के आरोपों का भी उन्हे सामना करना पड़ता है। लेकिन दन सबको दरकिनार कर लगातार अपने कामों मे जुटी हुई है। बहरहाल बालोद जिला मे ये महिला कमांण्डो अपने गाॅव मे बेहतर वातावरण बनाने मे सार्थक साबित हो रही हैं। वहीं इन महिलाओं का ऐसा प्रयास भी अन्य महिलाओं के लिये प्रेरणा का स्त्रोत साबित हो रहा है।