भोपाल: यूपी के बाद अब मध्यप्रदेश में भी लव जिहाद के खिलाफ सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सोमवार सुबह आनन फानन में बुलाई गई कैबिनेट की बैठक में लव जिहाद विरोधी अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है। माना जा रहा है कि राज्यपाल आनंदी बेन पटेल जल्द ही अध्यादेश पर हस्ताक्षर करके एमपी में धर्मा स्वातंत्र्य कानून को मंजूरी दे देंगी। लव जिहाद के खिलाफ बने इस कानून में सरकार ने 19 सख्त प्रावधान किए हैं। सरकार का दावा है कि लव जिहाद के लिए ये देश में सबसे सख्त कानून होगा। वहीं कांग्रेस ने नए कानून की जरुरत पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
एमपी में धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश को मंजूरी मिलने के ठीक 24 घंटे पहले लव जिहाद का मामला सामने आया है। रफीक नाम के शख्स ने रवि यादव बनकर एक लड़की को धोखा देने की पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन समाजसेवी संगठनों की मुस्तैदी से वो कामयाब नहीं हो सका। लड़की के परिजनों की मौजूदगी में मंदिर में शादी होती इससे पहले समाजसेवी संगठन पुलिस को लेकर मंदिर में ही पहुंच गए। शादी रुकी और अब रफीक सलाखों के पीछे है।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस मामले में दावा किया कि रवि और रफीक की कहानी सच साबित हुई तो उसे नए कानून के तहत सजा मिलेगी। शिवराज सरकार का ताबड़तोड़ ड्राफ्ट बनाना, विधानसभा सत्र से ठीक दो दिन पहले ड्राफ्ट को ध्वनिमत से पारित करना, फिर अध्यादेश को मंजूरी देना। ये सब इन्हीं मामलों को रोकने के लिए किए गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि धर्म स्वातंत्र्य कानून में कड़ी सजा का प्रावधान किया है, जो संस्थाएं ऐसा करेंगी वो बचेंगी नहीं, क्योंकि बेटियों की जिंदगी हमारी सरकार के लिए सर्वोपरि हैं।
उत्तरप्रदेश में कैबिनेट ने नवंबर महीने में ही लव जिहाद पर अध्यादेश को पास कर दिया था, जिसके बाद अब मध्यप्रदेश में भी इसे मंजूरी दे दी गई है। मध्यप्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद अब इस पर सियासत भी शुरु हो गई है। कांग्रेस का कहना है कि वो धर्मांतरण के तो खिलाफ है लेकिन नए कानून की आखिर क्या जरुरत क्या थी? पूर्व कानून मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि बीजेपी लव जिहाद कानून के नाम पर प्रोपोगेंडा कर रही है? बीजेपी सरकार बंगाल चुनाव में सियासी फायदा लेने के लिए जल्दबाजी में एमपी में कानून लागू कर रही है।