जहां चाह वहां राह, देखिए कैसे कुएं ने बदली युवक की जिंदगी | Where there is a way See how the well changed the life of a young man

जहां चाह वहां राह, देखिए कैसे कुएं ने बदली युवक की जिंदगी

जहां चाह वहां राह, देखिए कैसे कुएं ने बदली युवक की जिंदगी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:29 PM IST, Published Date : May 9, 2020/9:38 am IST

धमतरी। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना) ग्रामीणों की जिंदगी कैसे बदल रही है, इसकी मिसाल है उत्तम साहू। धमतरी जिले के कुरूद विकासखंड के ग्राम चर्रा के सीमांत किसान उत्तम पहले मजदूरी करते थे। मनरेगा के तहत खेत में कुएं के निर्माण के बाद अब वे साल भर साग-सब्जियों की खेती करते हैं। वे सब्जी बेचकर मौजूदा लॉक-डाउन के दौर में भी हर महीने दस हजार रूपए कमा रहे हैं। कुएं के निर्माण और सब्जी की खेती शुरू करने के बाद से आर्थिक रूप से वे लगातार मजबूत होते जा रहे हैं।

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उत्तम साहू मनरेगा से अपने खेत में कुआं खुदाई के दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि कुआं निर्माण के समय उनके साथ उनकी पत्नी पुनिया बाई, बेटे महेन्द्र और पुत्रवधु महेश्वरी ने भी काम किया था। उनके परिवार को मजदूरी के रुप में 26 हजार 436 रुपए मिले थे। कुएं के निर्माण में एक लाख 88 हजार रूपए की लागत आई थी। उत्तम साल भर भरे रहने वाले अपने कुएं में एक हॉर्स-पॉवर का पंप लगाकर सब्जियों की खेती कर रहे हैं। उनके खेतों में अभी चेंच भाजी, अमारी भाजी, पटवा भाजी, धनिया पत्ती, गलका, करेला, टमाटर और नींबू का उत्पादन हो रहा है। मौजूदा लॉक-डाउन में बाजार न जाकर वे गलियों में आवाज देकर सब्जी बेच रहे हैं। इससे हर महीने उन्हें दस हजार रूपए की आमदनी हो रही है। उत्तम कहते हैं – ‘महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं रायपुर : मनरेगा से बने कुएं ने बदली जिंदगी, सीमांत किसान उत्तम अब साल भर उगा रहे हैं सब्जी : सब्जी बेचकर लॉक-डाउन में भी हर महीने कमा रहे हैं दस हजारके कारण आज लॉक-डाउन में भी मेरी रोजी-रोटी पर लॉक नहीं लगा है।‘

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कोविड-19 का संक्रमण रोकने लागू देशव्यापी लॉक-डाउन में मनरेगा के अंतर्गत आजीविका संवर्धन के लिए निर्मित परिसम्पत्तियों ने हितग्राहियों को आर्थिक संबल प्रदान करने के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गतिमान बनाए रखा है। मनरेगा के कार्यों का लाभ व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तर पर मिल रहा है। जॉबकार्डधारियों की निजी भूमि पर डबरी निर्माण, निजी तालाब निर्माण, भूमि सुधार, कूप निर्माण, मुर्गी शेड, बकरी शेड, पशु शेड और मिश्रित फलदार पौधरोपण जैसे आजीविका संवर्धन के कार्य होने से उनके जीवन में तेजी से बदलाव आ रहा है।

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मनरेगा से जुड़कर ग्रामीणों को जो आर्थिक संसाधन प्राप्त हुए हैं, उससे वे मौजूदा हालात में काफी राहत महसूस कर रहे हैं। लॉक-डाउन से निपटने गांव-गांव में मनरेगा से ज्यादा से ज्यादा हितग्राहीमूलक कार्य शुरू किए जा रहे हैं। इससे हितग्राहियों को लंबे समय तक फायदा देने वाले संसाधन के साथ ही स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को सीधे रोजगार मिल रहा है। यह हितग्राही के साथ श्रमिकों को भी आर्थिक संबल दे रहा है।