और कितने अन्नदाताओं को देनी होगी कुर्बानी? कृषि विरोधी कानून कब खत्म किए जाएंगे- राहुल गांधी | When will the anti-agricultural laws be abolished

और कितने अन्नदाताओं को देनी होगी कुर्बानी? कृषि विरोधी कानून कब खत्म किए जाएंगे- राहुल गांधी

और कितने अन्नदाताओं को देनी होगी कुर्बानी? कृषि विरोधी कानून कब खत्म किए जाएंगे- राहुल गांधी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:58 PM IST, Published Date : December 18, 2020/8:56 am IST

नई दिल्ली। किसान आंदोलन लगातार 23वें दिन भी जारी है। वहीं इस बीच सिख संत के सुसाइड के बाद राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि, ‘और कितने अन्नदाताओं को कुर्बानी देनी होगी? कृषि विरोधी कानून कब खत्म किए जाएंगे?’

पढ़ें- बर्फीली हवाओं की वजह से दिल्ली में कड़ाके की ठंड, आंदोलनरत किसान नह…

शिवसेना की नेत्री प्रियंका चतुर्वेदी ने भी ट्वीट कर कहा, ‘अब तक 22 किसानों की मौत हो चुकी है। अपने अभिमान की वजह से बीजेपी अभी और कितने लोगों की जान लेगी? सरकार को पीआर एजेंसी हायर कर लेनी चाहिए जो कि इन तीन कानूनों के फायदे गिनाए।’

पढ़ें- SBI ने किया ग्राहकों को अलर्ट, इन 7 जानकारियों को शेयर करने से बचें…

 

सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से कहा है कि एक कमिटी बनाई जाए जिसमें किसान नेता और सरकार के प्रतिनिधि शामिल हों। अभी इसपर फाइनल फैसला नहीं लिया गया है। कोर्ट में किसानों के न हाजिर होने की वजह से सुनवाई टाल दी गई थी। वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 8 पेज का लेटर लिखकर किसानों से भावुक अपील की। किसान अपनी बात से हटने के तैयार नहीं हैं औऱ सरकार कानून वापस नहीं लेना चाहती।

पढ़ें- कांग्रेस को लगा झटका ! गोवा कांग्रेस प्रमुख ने स्थानीय चुनावों में …

दिल्ली बॉर्डर पर जिन किसानों की मौत हो गई उनके नाम हैं, जय सिंह (37 साल), जतिंदर सिंह (26 साल), भीमा सिंह (40 साल), गुरजीत सिंह (21 साल), गुरप्रीत सिंह, गुरजिंदर सिंह (16 साल), मजज्जन सिंह (60 साल), गुरजंत सिंह, बलजिंदर सिंह, सुरिंदर सिंह, रविंदर पाल, मेवा सिंह, मान सिंह, बलवीर सिंह, राजकुमार, मक्खन सिंह, ताभ सिंह, सुखदेव सिंह, पाल सिंह, पन्ना सिंह, कुलबिंदर सिंह औऱ लखबीर सिंह।

पढ़ें- कुणाल कामरा और कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के खिलाफ SC सख्त, अवमानना को…

किसान आंदोलन को 23 दिन हो गए हैं। कई अन्य संगठन भी अब किसानों के समर्थन में उतर रहे हैं। वहीं सरकार के मनाने और बात करने के बाद बिना कानून वापसी के किसान आंदोलन खत्म करने को भी तैयार नहीं हैं। अब चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा भी किसानों के समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने कहा, ‘हम अन्नदाताओं की मांगों को समर्थन करते हैं।’ बता दें कि सुंदरलाल बहुगुणा ने हरे पेड़ों को कटाई से बचाने के लिए बहुत बड़ा आंदोलन चलाया था जो कि एक मिसाल है।