ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एसपी ग्वालियर को निर्देश दिए हैं कि वे नाबालिग लड़की के गायब होने के मामले में फर्जीवाड़ा करने वाले कर्मचारी व अधिकारी पर क्या कार्रवाई कर रहे हैं। इसकी रिपोर्ट 22 नवंबर को अदालत में हाजिर होकर पेश करें। वहीं न्यायालय ने एसपी से स्पष्टीकरण देने को कहा है कि क्यों न इस मामले को जांच के लिए सीबीआई के सुपुर्द किया जाए। दरअसल न्यायमूर्ति जीएस अहलुवालिया ने एक बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए इस निर्देश के साथ ही इस प्रकरण में एसपी नवनीत भसीन, सीएसपी मुरार तथा प्रधान आरक्षक को न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की कोर्ट में 22 नवंबर को हाजिर होने के निर्देश दिए हैं।
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दरअसल 18 नवंबर को न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश पर सीएसपी मुरार ने न्यायालय में उपस्थित होकर अधिवक्ता के माध्यम से स्टेटस रिपोर्ट पेश की। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि लड़की की जयपुर में होने की सूचना के बाद उसका पता लगाने के लिए टीम नहीं पहुंची और थाने में ही इस संबंध में रिपोर्ट तैयार कर दी। सीएसपी आर एन पचौरी ने कहा कि वास्तव में पार्टी जयपुर गई थी। इस पर न्यायालय ने सीएसपी को निर्देश दिए कि क्या उनके पास कोई दस्तावेज है जो यह दर्शाएं कि पुलिस जयपुर में लडकी की खोज के लिए गई थी। इस पर पुलिस ने रोजनामचा प्रस्तुत किया जिसमें अरविंद शर्मा के जयपुर जाने की प्रविष्टि की गई थी। इसमें कहा गया कि जयपुर में लड़क़ी का कोई पता नहीं चला और वह वापस आ गई।
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सीएसपी की रिपोर्ट पर बुलाया एसपी को सीएसपी को सुनने के बाद न्यायालय ने एसपी नवनीत भसीन को हाजिर होने के लिए कहा । इस पर जब वे न्यायालय में हाजिर हुए तो सीएसपी से पूछा गया कि पुलिस पार्टी क्या कोई वारंट लेकर, ट्रेन से या बस से गई थी। जांच के लिए पुलिस वारंट लेकर ट्रेन या बस से रवाना होती है। तब न्यायालय को बताया गया कि अरविंद शर्मा निजी वाहन लेकर जयपुर गए थे। इस दौरान कई दिलचस्प सवाल पूछे गए। जैसे निजि कार से गए जयपुर और टोल टैक्स भी नहीं दिया उनसे न्यायालय ने पूछा कि जयपुर जाने में कितना ईंधन लगा, इस पर उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने कोई क्लेम नहीं किया था।अरविंद शर्मा ने यह भी कहा कि इस दौरान पांच टोल टैक्स बेरियर मिले जहां उन्हें कोई पैसा नहीं दिया।
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न्यायालय को यह भी बताया गया कि कार से एक हजार किलोमीटर का सफर किया गया तथा 60 लीटर पेट्रोल इसमें लगा। जिस पर पांच हजार रुपए खर्च हुए। न्यायालय ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि इसके लिए कोई भुगतान प्राप्त नहीं किया गया। इस प्रकार 18 नवंबर को जो सवाल खड़े किए गए थे। उसका एसपी नवनीत भसीन, सीएसपी आरएन पचौरी तथा अरविंद शर्मा न तो स्पष्टीकरण दे पाए और न ही कोई दस्तावेज प्रस्तुत कर पाए। पुलिस यह भी नहीं बता पाई की जयपुर में जाकर स्थानीय पुलिस से कोई संपर्क किया था कि वे लडक़ी को ढूंढने के लिए आए हैं।
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