NCP प्रमुख शरद पवार हिंदू विरोधी घोषित! वक्ते महाराज बोले- कभी रामायण पर करते हैं कटाक्ष, देते हैं नास्तिक मंडली का साथ | Warkari Sect Declared Sharad Pawar As Anti Hindu

NCP प्रमुख शरद पवार हिंदू विरोधी घोषित! वक्ते महाराज बोले- कभी रामायण पर करते हैं कटाक्ष, देते हैं नास्तिक मंडली का साथ

NCP प्रमुख शरद पवार हिंदू विरोधी घोषित! वक्ते महाराज बोले- कभी रामायण पर करते हैं कटाक्ष, देते हैं नास्तिक मंडली का साथ

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:14 PM IST
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Published Date: February 6, 2020 6:56 am IST

मुंबई: सीएए और एनआरसी को लेकर देश के कई राज्यों में प्रदर्शन का दौर लगातार जारी है। वहीं, दिल्ली में शाहीन बाग इलाके में पिछले लगभग दो महीने से प्रदर्शन कर रहे लोगों को लेकर सियासी गलियारों में हिंदू-मुस्लिम की राजनीति शुरू हो गई है। इसी बीच खबर आई है कि महाराष्ट्र में अपना खासा प्रभाव रखने वाले वारकरी संप्रदाय ने एनसीपी नेता पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाते हुए उनका बहिष्कार करने का फैसला लिया है। वारकरी संप्रदाय के इस फैसले के बाद से आशंका जताई जा रही है कि महाराष्ट्र में एक बार फिर विवाद गरमा सकता है।

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मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय वारकरी परिषद के वक्ते महाराज ने कहा है कि शरद पावर अक्सर हिंदू धर्म का विरोध करते हैं। कभी वे रामायण पर कटाक्ष करते हैं तो कभी कहते हैं रामायण की जरूरूत नहीं है। कभी वे नास्तिक मंडली को समर्थन में शामिल हो जाते हैं, तो कभी भगवान पांडुरंग के कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर देते हैं। इन तथ्यों को देखते हुए उन्हें राष्ट्रीय वारकरी परिषद ने किसी भी कार्यक्रम में नहीं बुलाने का फैसला लिया है। शरद पवार के बहिष्कार को लेकर राष्ट्रीय वारकरी परिषद ने परिपत्रक जारी किया है।

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बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने साल 2018 में वक्ते महाराज को ‘ज्ञानबा तुकाराम पुरस्कार’ से सम्मानित किया था। बताया जाता है कि वारकरी संप्रदाय के लोग विठ्ठल (श्रीकृष्ण)-रुक्मिणी को मानते हैं। विठ्ठल (श्रीकृष्ण)-रुक्मिणी का मंदिर पंढरपुर इलाके में हैं, इस संप्रदाय के लोग पंढरपुर इलाके में बहुतायत पाए जाते हैं। वहीं, कहा यह भी जाता है कि वारकरी संप्रदाय का महाराष्ष्ट्र के मराठवाड़ा वाले इलाके मुंबई, पुणे, मराठवाड़ी और विदर्भ में गहरा प्रभाव है। इस संप्रदाय के लोग संयमित जीवन व्यतीत करते हैं। वे भजन-कीर्तन, नाम स्मरण तथा चिंतन आदि में सदा लीन रहते हैं। इस संप्रदाय के प्रवर्तकों में संत ज्ञानेश्वर का स्थान महत्वपूर्ण है।

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