एक-एक बूंद के लिए तरसते ग्रामीणों ने बना दिया डेम, अब नहीं छोड़ना पड़ेगा अपना गांव | Villagers yearning for every drop made dame Will not have to leave his village now

एक-एक बूंद के लिए तरसते ग्रामीणों ने बना दिया डेम, अब नहीं छोड़ना पड़ेगा अपना गांव

एक-एक बूंद के लिए तरसते ग्रामीणों ने बना दिया डेम, अब नहीं छोड़ना पड़ेगा अपना गांव

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:21 PM IST
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Published Date: August 31, 2020 6:42 am IST

सतना। दशकों से पानी की एक-एक बूंद को तरसने वाले आदिवासियों ने आत्मनिर्भर होने की एक ऐसी मिसाल पेश की है, जिसे देखकर शासन- प्रशासन शर्मा जाए। युवाओं के साथ वृद्ध-बच्चों सहित महिलाओं ने अपने श्रम से एक नई इबारत लिख दी है। इलाके के लोगों ने साथ मिलकर एक ऐसे बांध का निर्माण किया है, जिसके जरिए क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों के अलावा पालतू और जंगली जानवरों की ना सिर्फ प्यास बुझेगी, बल्कि खेतों को भी गर्मियों में नया जीवन मिलेगा।

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दरअसल वर्षों से क्षेत्र में पानी की समस्या से जूझ रहे लोग पानी की किल्लत शुरु होते ही यहां से पलायन कर जाते थे। शासन- प्रशासन से गुहार लगाकर के हार चुके ग्रामीणों ने पानी के लिए ना सिर्फ डेम का सपना देखा बल्कि कड़ी मेहनत करके उसका निर्माण भी कर लिया है।

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सतना के चित्रकूट स्थित यह बटोही गांव कहने को तो नगर पंचायत का वार्ड नंबर 13 है, लेकिन आजादी के 73 साल बाद भी पानी के एक बूंद के लिए यहां के निवासी बांट जोह रहे है, हजारों की आवादी वाले इस गांव में पानी की समस्या ऐसी की ग्रामीणों को यहां से पलायन करना पड़ता है। गांव में रोजगार है नहीं और सूखे के चलते फसल भी ना होने के कारण दूसरे शहरों में जाकर पेट पालना ग्रामीणों की मजबूरी थी।

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इस बीच कुछ युवा समाजसेवी इन ग्रामीणों की मदद के लिए आगे आए, लोगों को प्रोत्साहित किया, जिसके बाद ग्रामीणों ने बारिश का पानी जमा करने की ठानी और इलाके में 5 फीट गहरा का एक ऐसा डेम बना दिया, जिसमें इस बारिश में इतना पानी ठहर गया है, जो आने वाले 6 माह तक गामीणों को पानी के संकट से बचा कर रखेगा। ग्रामीणों की मानें तो वो बचे पानी का उपयोग खेतों की सिंचाई के लिए भी करेंगे।

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बटोही गांव ने आजादी के कई दशकों तक स्कूल और बिजली भी नहीं देखी थी, युवा समाज सेवियों ने ग्रामीणों की मदद की और नई पीढ़ी को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया । इस दौरान IBC24 के माध्यम से यह बात मध्यप्रदेश सरकार तक पहुंची और तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने यहां एक स्कूल की सौगात तो दी ही साथ में गांव तक बिजली भी पहुंचाई गई, लेकिन पानी की समस्या आज भी बरकरार है, लिहाजा ग्रामीणों ने इसका समाधान भी ढूंढ निकाला है।

 

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