धर्म। छत्तीसगढ़ में सिरपुर में स्थित है गंधेश्वर महादेव का सदियों पुराना मंदिर । ताज बदले, तख्त बदले, वक्त बदला, लेकिन इस शिवालय का वैभव कभी नहीं घटा । साल दर साल इसकी ख्याति कम होने के बजाय बढ़ती ही गई है। गंधेश्वर मंदिर का निर्माण यहां के प्रतापी शासक बालार्जुन ने 8 वीं सदी में कराया था। कहते हैं शिवलिंग से हर वक्त उठने वाली विशिष्ट गंध के चलते इसका नाम गंधेश्वर पड़ा।जानकारों का दावा है कि आज भी यहां आने वाले भक्तों को तरह-तरह की गंधों का एहसास होता है।
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गंधेश्वर मंदिर को पहले तांत्रिक पीठ के रूप में मान्यता प्राप्त थी। यहां की वास्तु योजना भी इस बात की गवाही देती है कि ये मंदिर कभी तांत्रिक अनुष्ठान का प्रमुख केंद्र रहा होगा । गंधेश्वर मंदिर के गर्भगृह में स्वयंभू शिवलिंग की स्थापना है। वहीं मंदिर के मंडप के साथ-साथ दीवारों पर भी कलात्मक मूर्तियों का अंकन मिलता है। कई बार जीर्णोद्धार होने की वजह से मंदिर के मौलिक स्वरूप में काफी तब्दीलियां आ चुकी हैं, इसके बाद भी पुरातात्विक लिहाज से भी ये काफी अहमियत रखता है।
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गंधेश्वर मंदिर से चमत्कार की कई बातें भी जुड़ी हुई हैं। कहते हैं, कई बार आधी रात को मंदिर की घंटी बजने लगती है। कई बार सुबह मंदिर खोलने पर शिवलिंग पर ताजा फूल चढ़े होते हैं। सिरपुर में यूं तो तमाम मंदिर और विहार मौजूद हैं, लेकिन उन सबमें सबसे जीवंत है गंधेश्वर महादेव का ये मंदिर। इसकी वजह है, इस दर से जुड़ी जनआस्था ।
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