नई दिल्ली। राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन की तिथि तय हो गई है। 5 अगस्त को होने जा रहे भूमि पूजन के कार्यक्रम में राम मंदिर आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उमा भारती भी शामिल होंगी।
उमा भारती ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने निर्देश दिया है कि 4 अगस्त की शाम तक अयोध्या पहुंच जाऊं। 6 अगस्त तक मुझे अयोध्या में ही रहना होगा। उमा भारती ने साथ ही यह भी बताया है कि वो अभी 30 जून को ही अयोध्या गई थीं।
<blockquote
class="twitter-tweet"><p lang="hi" dir="ltr">मैं एक समाचार आप
सबके साथ शेयर कर रही हूं जिसे जानने के लिए आप सब उत्सुक
थे।</p>— Uma Bharti (@umasribharti) <a
href="https://twitter.com/umasribharti/status/1289238918802489344?ref_src=twsrc%5Etfw">July
31, 2020</a></blockquote>
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इससे पहले उमा भारती ने राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कई संस्मरणों को प्रकट किया । उमा भारती ने बताया है कि जब 28 साल की थीं, जून 1990 में तब विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के मार्गदर्शक मंडल की सदस्य बनी थीं। उमा भारती ने बताया कि 31 अक्टूबर को मार्गदर्शक मंडल की बैठक में राम जन्मभूमि पर कारसेवा की घोषणा हुई और विहिप ने पूरे देश में कारसेवा के लिए अयोध्या पहुंचने का आह्वान किया। लालकृष्ण आडवाणी ने भी रथ यात्रा की घोषणा कर दी, फिर पूरे देश में जैसे राम भक्ति का ज्वार आ गया। उमा भारती के मुताबिक उन्हें विजयाराजे सिंधिया के साथ चित्रकूट से गिरफ्तार कर बांदा ले जाया गया, जहां 50 हजार कारसेवकों के साथ रखा गया।
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उमा भारती ने बताया कि पूरे बांदा नगर को ही जेल मान लिया गया था, उन्हें पीडब्ल्यूडी के गेस्ट हाउस को ही जेल में तब्दील कर वहीं रखा गया। उमा भारती के मुताबिक 31 अक्टूबर की ही शाम टीवी पर हजारों कारसेवकों के कर्फ्यू तोड़कर अयोध्या पहुंचने, अशोक सिंघल के घायल होने और वासुदेव हलवाई के बाबरी ढांचे पर केसरिया पताका फहरा देने की खबर देखी, मुझे बेचैनी होने लगी कि पूरे देश में घूमकर जिनका आह्वान किया, वे सब अयोध्या पहुंच गए। जेल से भागने की योजना बना ली और सिर मुड़वा कर रात के 12 बजे बड़े भाई स्वामी प्रसाद लोधी के साथ अयोध्या के लिए निकल पड़ी।
राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शामिल रहीं उमा भारती ने कहा है कि वे सुबह 8.00 बजे मणिराम दास छावनी पहुंची गईं थी, पूरे रास्ते में पुलिस थी, बैरियर थे, कर्फ्यू लगा दिया गया था। अयोध्या में सुरक्षा के इतने तगड़े इंतजाम थे कि परिंदा भी पर न मार सके, उमा भारती ने बताया कि 2 नवंबर 1990 को कारसेवा की तैयारी हुई, हजारों की तादाद में कारसेवकों हनुमानगढ़ी होते हुए राम जन्मभूमि की ओर चल पड़े, अशोक सिंघल ने सभी को एकजुट रहने को कहा।
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उमा भारती के मुताबिक हनुमानगढ़ी से थोड़ा पहले पुलिस थाने के पास भीषण संघर्ष हुआ, जिसमें हजारों लोग घायल हुए, जिनमें खुद वो भी शामिल थी। गिरफ्तार कर अयोध्या के थाने में रखा गया। थाने में ही उन्हें मणिराम दास छावनी से कारसेवकों के दूसरे रास्ते से राम जन्मभूमि की ओर चल पड़ने की जानकारी मिली। पुलिस से संघर्ष में कुछ कारसेवकों की मौत भी हुई थी। हर तरफ खौफनाक मंजर था, उन्हें पहले फैजाबाद, फिर नैनी जेल ले जाया गया, जहां पहले से ही कल्याण सिंह और कलराज मिश्र बंद थे।
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उमा भारती को कुछ दिनों के बाद उन सबको रिहा कर दिल्ली भेज दिया गया। चुनाव हुए और केंद्र में वीपी सिंह, राज्य में मुलायम सिंह की सरकार गिर गई। साल 1991 में यूपी में कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने, संसद से लेकर हर तरफ यह मुद्दा राजनीति का मुख्य बिंदु बन गया। उन्होंने आगे लिखा है कि 17 नवंबर को संन्यास की दीक्षा लेने के बाद अशोक सिंघल के आह्वान पर वे 1 दिसंबर को अयोध्या पहुंचीं, 7 को वो दिल्ली लौटीं और 8 दिसंबर को उन्हें लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।