बस्तर। सुकमा जिले के जगरगुंडा इलाके को देश दुनिया से जोड़ने लम्बे समय से क़वायद जारी है पर सड़क मार्ग से बीते चार वर्षों से शुरू की गई क़वायद अब भी अधर में अटकी पड़ी है। इसकी मुख्य वजह ठेकेदारों के साथ साथ विभागीय अधिकारी का सुस्त रवैया भी माना जा रहा है।
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दरअसल लगातार चल रहे निर्माण कार्य के दौरान नक्सलियों ने सड़क सुरक्षा पर लगे सीआरपीएफ जवानों पर बुरकापाल मे वर्ष 2017 में बड़ा हमला कर दिया था। जिसके बाद से कुछ समय तक तो सड़क का निर्माण कार्य इलाके मे बंद पड़ा रहा पर फिर इसे स्थानीय पुलिस एवं जिला प्रशासन की पहल के बाद प्रारंभ कराया गया था पर अब फिर से सड़क का निर्माण अधर में अटका हुआ है । जिसके चलते बीते एक महीने से जगरगुंडा तक वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद पड़ी है ।
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बता दें कि विभाग ने मार्ग को बहाल रखने किसी तरह की तैयारी नहीं की थी, लगातार बारिश से चिंतलनार जगरगुंडा के बीच स्थित मल्लेबाग नाला में बना पुल बह गया है। जिसके चलते वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद है, लोग बड़ी बमुश्किल आवागमन कर रहे हैं।
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वही जगरगुंडा समेत आसपास के गांवों में लोगों के घरों समेत सुरक्षाबलों के कैम्पों राशन की कमी की शिकायत सामने आई है। पुरे मामले में ये जानकारी सामने आई है कि विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर लम्बे समय से रायपुर में जमे हुए हैं। दरअसल संबंधित इंजीनियर को विभाग द्वारा कई अन्य जिलो की भी ज़िम्मेदारी दी गई है, ऐसे मे उक्त अधिकारी द्वारा जगरगुंडा जैसे संवेदनशील इलाके की निर्माणाधीन सड़क पर ध्यान केंद्रित नहीं होने के कारण इसका निर्माण पूरा नहीं हो पा रहा है।
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